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बैंगलोर

गगनयान मिशन में ताकतवर क्रायोजेनिक चरण सी-32 का होगा प्रयोग

क्रायोजेनिक चरण सी-25 की तुलना में 4 टन अधिक ईंधन
वैक्यूम में पैदा करेगा 22 टन थ्रस्ट

बैंगलोरFeb 20, 2025 / 07:12 pm

Rajeev Mishra

महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के तहत बिना चालक दल वाले पहले मानव रहित मिशन गगनयान-1 (जी-1) के प्रक्षेपण की तैयारियां प्रगति पर है। यह मिशन मानव रेटेड एलवीएम-3 (एचएलवीएम-3) से लांच किया जाएगा। इसरो अधिकारियों के मुताबिक एचएलवीएम-3 में पहली बार क्रायोजेनिक चरण सी-32 का प्रयोग किया जाएगा।
इसरो के भविष्य के मिशनों के लिए यह स्टेज काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसरो ने क्रायोजेनिक इंजन को उन्नत कर इस चरण को अधिक ताकतवर बनाया है। क्रायोजेनिक चरण सी-32 में क्रायोजेनिक चरण सी-25 की तुलना में लगभग 4 हजार किलोग्राम अधिक ईंधन होगा। यह निर्वात (वैक्यूम) में लगभग 22 टन का थ्रस्ट पैदा करेगा। दरअसल, एचएलवीएम-3 रॉकेट के पहले दो चरण ठोस और तरल चरण हैं जबकि, तीसरा चरण क्रायोजेनिक चरण है। यह उपग्रहों के साथ उनकी कक्षा तक पहुंचता है और उन्हें निर्दिष्ट कक्षा में स्थापित करता है। मानव मिशन के लिए अधिक ताकतवर ऊपरी चरण की आवश्यकता थी जिसके लिए इसरो ने इसका विकास किया है। इसरो अधिकारियों के मुताबिक एलवीएम-3 के आने वाले मिशनों में अब क्रायोजेनिक चरण सी-32 का ही प्रयोग किया जाएगा।

प्रणालियों को परखा जाएगा अत्यंत चरम परिस्थितियों में

गगनयान मिशन के तहत लांच किए जाने वाले जी-1 मिशन के लिए प्रक्षेपणयान एचएलवीएम-3 का इंटीग्रेशन शुरू हो गया है। इस बीच मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पहला मानव रहित मिशन (जी-1) कई दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रह सकता है। संभव है कि यह मिशन पृथ्वी की कक्षा में एक सप्ताह गुजारे। इसमें भेजे जाने वाली हर प्रणालियों को अत्यंत चरम परिस्थितियों में परखा जाएगा। इस मिशन में मुख्यत: उड़ान प्रणालियों को प्रदर्शित किया जाना है। इसमें मानव रेटेड प्रक्षेपण यान (एचएलवीएम-3) को परखा जाएगा जबकि कू्र मॉड्यूल की ट्रैकिंग, कू्र मॉड्यूल को धरती की कक्षा में स्थापित करना, परखना और पुन: उसे धरती पर उतारना लक्ष्य होगा। वापसी के दौरान थर्मल प्रोटेक्शन और अन्य प्रणालियों की जांच होगी। मानव रोबोट व्योममित्रा को पहले मिशन में भेजने की योजना नहीं है।

व्योममित्रा को भी भेजा जाएगा

इसरो की योजना के मुताबिक पहला मानवरहित मिशन (जी-1), अनप्रेशराइज्ड होगा। दूसरा, मानव रहित मिशन (जी-2) प्रेशराइज्ड होगा और ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्रा को भी भेजा जाएगा। तीसरा मानव रहित मिशन (जी-3) एक वैकल्पिक टेस्ट उड़ान है। इन सभी उड़ानों में कामयाबी मिलने के बाद देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन (एच-1) लांच किया जाएगा जिसे 2026 तक भेजे जाने की उम्मीद है।

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