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इस राज्य के डिप्टी CM ने मान ली हार, बोले- यहां की सड़के भगवान भी नहीं ठीक करवा सकते…

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि बेंगलुरु का कायापलट रातों-रात संभव नहीं है, भले ही भगवान खुद आ जाएं।

बैंगलोरFeb 21, 2025 / 11:49 am

Devika Chatraj

Namma Raste 2025: कर्नाटक (Karnataka) के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार (Deputy CM D. K. Shivkumar) ने बेंगलुरू में हो रहे शहरीकरण की वजह उत्पन्न चुनौतियों पर कहा, भले ही भगवान भी उतरकर बेंगलुरु की सड़कों पर चलें, अगले एक, दो या तीन सालों में कुछ भी नहीं किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने विभिन्न नागरिक एजेंसियों और हितधारकों को एकजुट होकर काम करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा, “हमें उचित तरीके से योजना बनानी होगी और परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करना होगा।”

क्या बोले डिप्टी CM?

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के केंद्रीय कार्यालय में ‘नम्मा रास्ते – डिजाइन कार्यशाला’ और ट्रैफिक प्रयोगशाला के शुभारंभ के दौरान शिवकुमार ने कहा, “बेंगलुरु को रातों-रात बदलना असंभव है, लेकिन यदि हम उचित योजनाएं बनाएं और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करें, तो निश्चित रूप से परिवर्तन संभव है।” शहरी बुनियादी ढांचे में एकरूपता, गुणवत्ता और अनुशासन बनाए रखना जरूरी है।

नम्मा रास्ते-2025’ के उद्देश्य

20 से 22 फरवरी के बीच आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में परिवहन प्रणाली, ट्रैफ़िक प्रबंधन और शहरी नियोजन पर चर्चा होगी। यह पहल सड़कों, फुटपाथों और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए प्रभावी समाधान खोजने में मदद करेगी। शिवकुमार ने शहर में ओवरहेड केबल हटाने और उन्हें भूमिगत नेटवर्क में बदलने का सख्त निर्देश दिया।

विपक्ष में आलोचना

डीके शिवकुमार के बयान पर आलोचना करते हुए विपक्ष के नेता आर अशोक कहते हैं, “कर्नाटक सरकार में विकास कार्यों के लिए पैसे नहीं होने की बात स्वीकार करने के बाद, बेंगलुरु विकास मंत्री डीके शिवकुमार अब कहते हैं कि अगर भगवान भी आ जाएं तो भी अगले 2-3 साल तक बेंगलुरु नहीं बदल सकता।”

शहर में क्या चुनौतियां

शहर के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताते हुए शिवकुमार ने जगह की कमी पर ध्यान केंद्रित किया उन्होंने बताया की “शहर की आबादी 1.4 करोड़ तक पहुंच गई है और पंजीकृत वाहनों की संख्या भी बढ़कर 1.1 करोड़ हो गई है।” यह दोहराते हुए कि सुरंग सड़कें बेंगलुरु के यातायात संकट का सबसे अच्छा समाधान हैं, उन्होंने कहा, “मैं शुरू से ही (सत्ता में आने के बाद से) सुरंग सड़कों के बारे में बात कर रहा हूं, लेकिन हमने अभी तक निविदाएं नहीं बुलाई हैं। कई तकनीकी मुद्दे, भूमि अधिग्रहण चुनौतियां और वित्तीय मुद्दे हैं, अन्य बातों के अलावा।

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