राजस्थान: सरकारी अस्पताल में अमानवीयता की हदें पार, अवैध वसूली के लिए चंद मिनट पहले जन्मे नवजात तक को नहीं बक्शा
महात्मा गांधी अस्पताल के एमसीएच विंग में अवैध वसूली के लिए कुछ कार्मिक सारी हदें पार कर चुके हैं। यहां पैसे न मिलने के कारण कार्मिक ने चंद मिनट पहले जन्मे नवजात तक को नहीं बक्शा।
बांसवाड़ा। महात्मा गांधी अस्पताल के एमसीएच विंग में अवैध वसूली के लिए कुछ कार्मिक सारी हदें पार कर चुके हैं। यहां पैसे न मिलने के कारण कार्मिक ने चंद मिनट पहले जन्मे नवजात तक को नहीं बक्शा। नवजात के शरीर को साफ नहीं किया। उसे बेबी किट तक नहीं दी गई। इस अमानवीय व्यवहार से प्रसूता और नवजात को लेकर परिजन घर लौट गए। मामले की सूचना पर पत्रिका टीम सोमवार को पीड़िता के घर पहुंची, तो अमानवीयता की शिकार प्रसूता ने आपबीती सुनाई। पीड़िता परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसके टापरे की छत तक नहीं थी।
खेतों के बीच बने झोंपड़े में महिला उसके दो बच्चों के साथ चारपाई पर आराम कर रही थी। आवाज देने पर पीड़िता बाहर आई। टीम ने पीडि़ता के पति के बारे में पूछा तो उसने बताया अभी नहीं है। उससे प्रसव के दिन की घटना के बारे में जानकारी ली गई तो उसकी आंखें नम हो गईं। फिर खुद को संभालते हुए उसने पूरा वाकया सुनाया। उसे बताया कि 20 फरवरी शाम तकरीबन आठ बजे के आसपास प्रसव पीड़ा हुई।
इस पर एंबुलेंस बुलाई गई। वो उसके पति और जेठानी के साथ अस्पताल की ओर निकले। पुराना बस स्टैंड के आसपास एंबुलेंस में ही प्रसव हो गया। फिर अस्पताल पहुंचे। जहां बच्चे की नाल कटवाई। इस पर वह बेसुध सी थी। इस दौरान कार्मिक ने जेठानी से 2000 रुपए मांगे।
पीड़िता ने बताया कि हमारे पास दो हजार रुपए थे ही नहीं। इस पर जेठानी ने 500 रुपए देते हुए कहा कि अभी इतने ही हैं। तो कार्मिक ने 500 रुपए फेंक दिए। तब तक बच्चे को साफ भी नहीं किया था। हमें चले जाने के लिए कहा। कार्मिक ने कहा कि दो हजार दोगे तो ही ऑनलाइन करेंगे। हमने 2 घंटे तक इंतजार किया। किसी न हमारी सुध नहीं ली तो हम लौट आए।
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फफक कर बोली : साहब हमारे पास पैसे होते तो दे देते
आपबीती सुनाते-सुनाते पीडि़ता फफक पड़ी। उसने कहा कि साहब मेरे पति के पास 2000 रुपए होते तो दे देते। अस्पताल से बच्चे को बिना साफ कराए पुराने कपड़े में लपेट कर नहीं लाते।
बोली बेटे को कुछ हो जाता तो हम क्या करते ?
बेटे को गोद में लेकर सहलाती पीड़िता नम आंखों से बोली साहब मेरे दो बेटियां हैं। बड़ी मिन्नतों से अब बेटा हुआ है। हमारे साथ ऐसा गंदा व्यवहार किया गया, सरकारी अस्पताल से भागने को मजबूर कर दिया गया। उपचार न मिलने के कारण अगर मेरे बेटे के साथ कुछ हो जाता तो हम कहीं के नहीं रहते। इसका जिम्मेदार कौन होता ?
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