गुस्साए व्यापारियों का ऐलान – अब नहीं सहेंगे खामोशी!
सराफा व्यापारी की दुकान को नुकसान पहुंचाने की घटना के बाद व्यापारियों में आक्रोश की लहर दौड़ गई। उनका कहना है कि हर साल की तरह इस बार भी चबूतरे पर ताजिया रखा गया था, लेकिन रात 3 बजे कुछ खुराफाती तत्व दुकान का स्लैब तोड़कर वहां तोड़फोड़ करने लगे। जब बाजार खुला तो वहां लोहे के पाइप और टेढ़े-मेढ़े शटर मिले, जिससे साफ हो गया कि यह कोई सामान्य घटना नहीं बल्कि जानबूझकर की गई हरकत है। व्यापारियों ने इसे “धार्मिक आयोजन की आड़ में उकसाव” करार देते हुए साफ शब्दों में चेतावनी दी—“पहले गिरफ्तारी, फिर ताजिया”।
पुलिस से नोकझोंक, घटना के वक्त कहां थे सुरक्षाकर्मी
व्यापारियों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब रात को ताजिया रखा गया, तब पुलिस कहां थी। अगर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होते, तो किसी की हिम्मत न होती दुकान तोड़ने की। मौके पर पहुंचे सीओ और इंस्पेक्टर ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की लेकिन तब तक मामला गरमा चुका था। व्यापारियों और हिंदू संगठनों ने गली में दरी बिछाकर धरना शुरू कर दिया।
कार्रवाई के बाद धरना खत्म, दो आरोपी हिरासत में
करीब तीन घंटे चले धरने और गहमागहमी के बाद एसडीएम व सीओ फरीदपुर के लिखित आश्वासन पर व्यापारियों ने धरना खत्म किया। पुलिस ने एक महिला सहित दो आरोपियों को हिरासत में लिया है और सीसीटीवी फुटेज की जांच जारी है।
जोगी नवादा में पुलिस प्रशासन की अग्निपरीक्षा
बारादरी क्षेत्र के जोगी नवादा में रविवार को दो साल पुराने विवाद के बाद तख्त के जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन की अग्निपरीक्षा है। मौर्य गली, जहां हर साल विवाद की जड़ बनती थी, वहां इस बार जुलूस निकालने पर दोनों समुदायों की सहमति बनी है। हर साल जुलूस मार्ग में पीपल की डाल के कारण गड्ढा खोदना पड़ता था, लेकिन इस बार डाल कटने के कारण मार्ग साफ है। माना जा रहा है कि अगर यह जुलूस शांतिपूर्वक निकल गया तो कांवड़ यात्रा और बारावफात के जुलूस भी विवाद रहित रहेंगे।
सुरक्षा चाक-चौबंद, खुराफातियों पर रहेगी नजर
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि जोगी नवादा में पीएसी, आरएएफ और स्थानीय पुलिस बल दंगा नियंत्रण उपकरणों के साथ तैनात है। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों ने इस बार बेहद परिपक्व और संयमित रुख अपनाया है। हालांकि पुलिस प्रशासन ने किसी भी खुराफात की स्थिति से निपटने के लिए मुकम्मल इंतजाम किए हैं। आने वाले धार्मिक आयोजनों की सफलता इसी पर निर्भर है कि जुलूस कितनी शांति से निकलता है।