शिकायत के बाद शुरू हुई जांच
अगस्त 2024 में ग्राम कुम्हरा के चैतन्य देव, रईस और संजय ने शपथ पत्र देकर डीएम से शिकायत की थी कि मनरेगा के तहत गलत तरीके से मजदूरी भुगतान किया जा रहा है। डीएम के निर्देश पर जिला प्रोबेशन अधिकारी और डीआरडीए के सहायक अभियंता ने मामले की जांच की। प्राथमिक जांच में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद सितंबर 2024 में डीपीआरओ को रिपोर्ट सौंप दी गई।
मनरेगा लोकपाल ने भी पाई गड़बड़ी
अक्टूबर 2024 में मनरेगा लोकपाल शिशु मौर्य ने भी गलत जॉब कार्डधारकों को लाभ पहुंचाने की जांच की, जिसमें 1.49 लाख रुपये की अनियमितता उजागर हुई। इसके बाद डीपीआरओ ने प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
प्रधान और तीन सचिव दोषी पाए गए
जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने प्रधान मंजू कुमारी के अधिकार सीज कर दिए और तत्कालीन सचिव छेदालाल को मुख्य दोषी माना। छेदालाल अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके अलावा सचिव अजय वंश, भगवान दास और शालिनी वर्मा को भी फर्जी जॉब कार्ड जारी करने, गलत खातों में भुगतान भेजने और शासनादेश की अनदेखी के आरोप में दोषी पाया गया है।
डीएम ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
डीएम रविंद्र कुमार ने प्रधान पर नियम विरुद्ध भुगतान को लेकर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। साथ ही, सचिवों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
डीपीआरओ कमल किशोर के अनुसार, रिटायर्ड सचिव छेदालाल को नोटिस जारी किया जाएगा। सचिव अजय वंश, शालिनी वर्मा और भगवान दास पर कार्रवाई के लिए डीडीओ को पत्र भेजा गया है। डीसी एनआरएलएम और पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड को अंतिम जांच की जिम्मेदारी दी गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई होगी।