चिप संकट के कारण लंबित पड़े थे लाइसेंस
हर दिन जिले में 100 से अधिक लोग स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। परिवहन विभाग इन आवेदकों को चिपयुक्त स्मार्ट लाइसेंस जारी करता है, जिसे लखनऊ में प्रिंट किया जाता है। नियमों के अनुसार, 30 दिनों के भीतर यह लाइसेंस डाक द्वारा आवेदक के घर पहुंच जाना चाहिए, लेकिन चिप की आपूर्ति यूक्रेन से होने के कारण युद्ध की वजह से यह प्रभावित थी। इसी कारण जिले में ढाई हजार से अधिक लोगों को लाइसेंस जारी नहीं हो सका।
मार्च से पटरी पर लौटेगी प्रक्रिया
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब चिपयुक्त स्मार्ट कार्ड की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। मार्च से प्रिंटिंग का कार्य फिर से शुरू होगा, जिससे लंबित लाइसेंस अप्रैल में जारी होने लगेंगे। हालांकि चार महीनों से स्मार्ट डीएल जारी नहीं हो रहे हैं, फिर भी परिवहन विभाग ने लाइसेंस निर्माण की प्रक्रिया को जारी रखा है। इस वजह से लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विभाग के अनुसार, ढाई हजार आवेदनों का डेटा लखनऊ भेजा जा चुका है, लेकिन चिप की अनुपलब्धता के कारण प्रिंटिंग नहीं हो सकी।
चेकिंग के दौरान घबराने की जरूरत नहीं
परिवहन विभाग के एआरटीओ प्रशासन मनोज सिंह के अनुसार, जिन लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, वे चेकिंग के दौरान रजिस्ट्रेशन नंबर दिखाकर बच सकते हैं। जिनका लाइसेंस पोर्टल पर दिख रहा है, वे उसे डिजिटल लॉकर में सुरक्षित रख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर पुलिस को दिखाकर चालान से बच सकते हैं। अप्रैल से ड्राइविंग लाइसेंस वितरण शुरू होने की उम्मीद है, जिससे आवेदकों को जल्द ही राहत मिलेगी।