नोडल पशु चिकित्साकर्मियों ने बताया कि 15 दिन से ब्रूसेला बीमारी से बचाव को लेकर पशुधन के छोटे बच्चों के टीके लगाने का काम किया जा रहा है। अब तक महज 1200 छोटे बच्चों को टीके लग पाए है। इधर, लंपी बीमार से बचाव को लेकर भी महज 6 हजार गोवंश के टीके लग पाए है। लक्ष्य करीब 14 हजार से अधिक है। पशुपालकों में जागरूकता की कमी से टीकाकरण का काम प्रभावित होता दिख रहा है।
पशुओं में होने वाली दोनों बीमारियों के बचाव को लेकर टीके लगाने के लिए 14 टीमें बनाई गई है। पशुधन सहायकों का कहना है कि ओटीपी को लेकर वे परेशान है। कई बार सर्वर तो कई बार पशुपालक की ओर से ओटीपी नहीं बताने से परेशानी बढ़ रही है। जबकि टीकाकरण के लिए पंजीयन जरूरी है। यह पंजीयन तभी संभव है, जब ओटीपी पशुपालक की ओर से देना होगा।
पशुधन सहायकों ने बताया कि टीकाकरण करने के लिए ऑनलाइन डाटा फीड करना होता है। पंजीयन के लिए पशुपालक के मोबाइल पर ओटीपी पहुंच जाती है, लेकिन कई पशुपालक ठगी का शिकार होने के भय से ओटीपी नहीं बताते है। कर्मियों को कई बार पशुपालकों को साइबर फ्रॉड नहीं होने की गारंटी देनी पड़ती है। आसपास के लोगों एवं जनप्रतिनिधियों से कहलवाने पर ही पशुपालक ओटीपी बताते है।
नोडल केन्द्र के अधीन चिकित्सालय: 14
क्षेत्र में उप पशु चिकित्सा केन्द्र: 10
क्षेत्र में पशुओं की संख्या: 90 हजार इनका कहना है….
परिक्षेत्र में ब्रूसेला एवं लंपी आदि बीमारियों से बचाव को लेकर पशुओं में टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन पशुपालकों की ओर से पंजीयन के लिए ओटीपी नहीं बताने की समस्या आ रही है। इससे टीकाकरण अभियान धीमा चल रहा है। जब भी पशुपालक को किसी तरह का संदेह हो तो वह संबंधित कर्मचारी का पहचान पत्र या फिर अन्य पहचान पत्र मांग सकता है। संबंधित संस्था के चिकित्सक से भी बातकर संबंधित व्यक्ति पहचान कर सकता है।
-डॉ.नरेन्द्र कुमार शर्मा, नोडल अधिकारी, पशु चिकित्सा केन्द्र चौमूं