जानकारी अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चौमूं की जनसंख्या 64417 थी, जो वर्तमान में 1 लाख से अधिक बताई जाती है। शहर में 45 वार्ड हैं। शहर का क्षेत्रफल 20 किमी से अधिक माना जाता है। इतना ही नहीं, चौमूं जयपुर का उपनगर है। जयपुर-सीकर नेशनल हाईवे और रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है। चिकित्सा और शिक्षा का हब बन चुका है। आय के स्रोत अन्य नगर परिषदों की तुलना में अधिक है। इसी के आधार पर पिछली कांग्रेस सरकार ने चौमूं नगर पालिका को क्रमोन्नत करके नगर परिषद का दर्जा दिया था, लेकिन हालात ये हैं कि आमजन को समुचित सुविधाएं मिलना तो दूर परिषद के अनुबंधित कर्मचारियों को ही मानदेय भुगतान समय पर नहीं मिल रहा है।
सूत्रों की मानें तो नगरपरिषद मेें स्वच्छता के लिए अनुबंध पर काम कर रहे करीब 150 सफाईकर्मियों, 30 से अधिक चालकों के अलावा कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सहित अन्य कार्य करने वाले अनुबंधित कार्मिकों को मानेदय नहीं दिया जा रहा है। इन चालकों में करीब 25 ऑटोटीपर चालकद के अलावा जेसीबी, डम्पर, दमकल वाहन, लोडर, ट्रैक्ट्रर ट्रॉलियां चलाने वाले भी शामिल हैं।
एक फरवरी से अब कर्मचारियों को मानदेय नहीं मिला है। इसमें से 1 फरवरी से 15 मार्च तक का भुगतान एक्ससर्विस मैन सोसायटी को करना है, लेकिन परिषद ने भुगतान नहीं किया है। इससे भुगतान होने में देरी हो रही है। वहीं 16 मार्च से मानेदय भुगतान ठेकेदार के माध्यम से किया जाना है, लेकिन ठेकेदार ने भुगतान नहीं किया गया। इससे कार्मिकों का परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। कर्मचारियों की समस्या है कि वे वाहन चलाने या सफाई करने के दौरान भी यही सोचते रहते हैं कि आखिर वेतन कब मिलेगा? इस बारे में वार्ड पार्षद कुसुम भातरा का कहना है कि श्रमिकों को पहले ही अल्प मानदेय दिया जाता है। इसके बावजूद देरी होना उनके साथ न्याय नहीं है। इस बारे में अधिकारियों को अवगत करवाया है।
पिछले दिनों कांग्रेस नेता शैलेन्द्र चौधरी एवं पार्षद महेन्द्र कुमावत ने कार्यवाहक आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर नगर परिषद में कार्यरत अनुबंधित सफाई कर्मचारियों समेत अन्य कर्मचारियों को बकाया मानदेय दिलाने की मांग की थी, लेकिन इसका भी असर नहीं हो रहा है।