नगर निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जिन दफ्तरों में सेवा में जीवन खपाया अब वहीं चक्कर लगाना पड़ रहा है। सेवानिवृत्ति के साथ ही इन कर्मचारियों को अंतिम भुगतान उपादान के रूप में कर दिया जाना था, लेकिन प्रशासनिक पेंच के चलते अब तक यह राशि भुगतान नहीं हो पाया है। वर्ष 2009 से अब तक करीब 16 सालों में सेवानिवृत्त 300 से ज्यादा कर्मचारियों की यह पीड़ा है। इन कर्मचारियों का उपादान का 8 करोड़ रुपए से ज्यादा नगर निगम पर बकाया है।
उपादान के नाम पर वसूली की भी शिकायत
नगर निगम उपादान राशि भुगतान के नाम पर सेवानिवृत कर्मचारियों से वसूली की भी शिकायत रही है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि कुल देय राशि में से किस्तों में 1 अथवा 2 लाख का भुगतान के नाम पर 20 से 30 हजार रुपए डिमांड किया जाता रहा है। आरोप है कि कई कर्मचारियों से यह राशि लेकर किस्त का भुगतान भी किया गया है। Nagar nigam Employees Allowance: एकमुश्त या फिर ब्याज की मांग
सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने किस्तों में भुगतान का विरोध किया है। उनका कहना है कि सेवानिवृत्ति के साथ भुगतान से बचत किया जा सकता था, इससे बैंक से ब्याज मिलता। ऐसे में निगम एकमुश्त भुगतान करें या फिर बचत पर ब्याज दें। मांग करने वालों में सुखदेव, अनिल मनहरे, जगदीश सूर्या, रोहिणी बाई, देवकी बाई, प्रीति कटझोरी, बुधराम मेश्राम, शहनाज बेगम, पुरुषोत्तम अहीर, कुमारीबाई चंद्राकर, निर्मला बी, कचराबाई सोनी आदि शामिल है।
17 ने लगाई थी हाईकोर्ट में याचिका
उपादान की राशि भुगतान के बजाए नगर निगम द्वारा फंड की कमी व राज्य शासन को पत्र लिखे जाने का हवाला देकर लगातार टाला जाता रहा है। इससे नाराज 17 सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने
हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई थी। बताया जा रहा है कि इसके बाद निगम प्रशासन द्वारा उपादान की राशि भुगतान का फैसला किया गया है, लेकिन मामला अब किस्तों में अटक गया है।