लावारिस होने के कारण उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था, लेकिन एमजीएच के कर्मचारियों ने उन्हें अकेला महसूस नहीं होने दिया। हड्डी वार्ड में नर्सिंग ऑफिसर गिरिराज लढा और अन्य कर्मचारियों ने बाबा धर्मवीर को अपना परिजन मानकर उनकी सेवा की,कर्मचारियों ने न केवल उनकी चिकित्सा जरूरतों का ध्यान रखा, बल्कि उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता का भी पूरा ख्याल रखा। उन्हें नियमित रूप से नहलाया गया और निजी खर्च से उनके लिए शैम्पू, परफ्यूम और पाउडर तक का इंतजाम किया, ताकि वार्ड में किसी को उनसे दुर्गंध न आए। इसके साथ ही, अस्पताल में उनके दोनों समय के भोजन और चाय की भी विशेष व्यवस्था की गई, इस पूरे सेवाभाव और समर्पण में अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अरुण गौड़ का विशेष मार्गदर्शन रहा।
हमने बाबा को मान लिया अपना… एमजीएच में बाबा धर्मवीर को लावारिस होने के बावजूद अकेलापन महसूस नहीं होने दिया जा रहा। बाबा का कोई नहीं है, पता चलने पर हमने उन्हें अपना ही मान लिया। एक बुजुर्ग व्यक्ति को ऐसी हालत में देखकर किसी का भी मन द्रवित हो जाएगा। हमारी कोशिश यही थी कि उन्हें हर संभव आराम मिले और वे जल्द स्वस्थ हों।
– गिरिराज लढा, नर्सिंग ऑफिसर