किराए का गणित…
आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया ग्रामीण में 200 से 500 व शहर में 500 से 1000 रुपए सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में एक कमरे का किराया कम से कम 1000 से 1500 रुपए है। प्रदेश में 20197 केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं।JDA Housing Scheme : जेडीए की 2 आवासीय योजना की लॉटरी कब निकलेगी, जानें डेट
1200 रुपए है मूल किराया…
एक आंगनबाड़ी सहायिका ने कहा कि सरकार 750 रुपए किराया देती है। असली किराया 1200 रुपए है। शेष 450 रुपए हमें अपनी जेब से देने पड़ते हैं। यह राशि सहायिका व कार्यकर्ता मिलकर देते हैं। उसका कहना था कि कुछ पोषाहार बचाकर रखते हैं, जिसे बाजार में बेचकर किराया चुकाते हैं। सरकार ने किराया एक हजार से चार हजार रुपए तक कर रखा है पर हमें राशि बहुत ही कम मिलती है।लिव-इन रिलेशनशिप पर कब बनेगा कानून? राजस्थान विधानसभा में अब तक नहीं हुई चर्चा
इंजीनियर करते किराया तय…
किराया बढ़ाने के लिए कार्यकर्ता को पीडब्ल्यूडी इंजीनियर से रिपोर्ट लेनी होती है। उस आधार पर किराए बढ़ता है।61,254 प्रदेश में हैं आगंनबाड़ी केंद्र
26,771 केंद्र सरकारी भवन में चल रहे हैं।20,197 केंद्र किराए के भवन में।
2,216 केंद्र भीलवाड़ा में संचालित।
269 केंद्र किराए के भवन में।
60,945 कार्यकर्ता हैं प्रदेश में।
42,27,485 लोग हो रहे लाभान्वित।
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किराया ज्यादा है तो छोटा कमरा देख लें
अधिक किराया चाहिए तो किचन, पानी व टॉयलेट के साथ बरामदा होना चाहिए। यह भी पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर किराया देते हैं। कोई अपनी जेब से किराया दे रहे है तो वह कम राशि वाला कमरा देख ले।राजकुमारी खोरवाल, उप निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग भीलवाड़ा
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कोई जेब से नहीं देता
केंद्र का किराया कम मिलता है, लेकिन कोई भी कार्यकर्ता व सहायिका अपनी जेब से राशि नहीं देता है। यह सभी जानते हैं।रजनी शक्तावत, जिलाध्यक्ष भारतीय आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ