scriptएमपी के 106 गांव ‘मास्टर प्लान’ में जुड़े, भूमाफिया की चमकी किस्मत ! | 106 villages of MP included in 'Master Plan', land mafia's fortunes shine! | Patrika News
भोपाल

एमपी के 106 गांव ‘मास्टर प्लान’ में जुड़े, भूमाफिया की चमकी किस्मत !

mp news: इंदौर और जबलपुर का विकास 2021 के मास्टर प्लान के भरोसे है। वहीं, भोपाल 19 साल पुराने मास्टर प्लान पर रेंगकर विकास की सीढ़ियां चढ़ने को विवश है।

भोपालJan 20, 2025 / 11:32 am

Astha Awasthi

Master Plan

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mp news: मध्यप्रदेश में शहरों के विकास का पहिया सरकारी कागजों में ही कैद है। संपूर्ण विकास और लोगों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार ने शहरों से लगे गांवों को शहर का हिस्सा बनाया। लेकिन मास्टर प्लान नहीं बनाया। चार बड़े शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में से सिर्फ ग्वालियर में ही मास्टर प्लान लागू हो सका। इंदौर और जबलपुर का विकास 2021 के मास्टर प्लान के भरोसे है। वहीं, भोपाल 19 साल पुराने मास्टर प्लान पर रेंगकर विकास की सीढ़ियां चढ़ने को विवश है।
भोपाल मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 को रद्द करने के बाद मास्टर प्लान-2047 का ड्राफ्ट बनाया। राजधानी के 51 गांवों को इसमें जोड़ा। जबलपुर में भी 55 गांव शहर में शामिल किए, लेकिन सुविधाएं विकसित नहीं हुईं। भूमाफिया ने प्लॉटिंग कर ऊंचे दाम में प्लॉट बेचकर चांदी काटी। अब ये गांव न तो गांव रहे और न ही शहर का हिस्सा ही बन सके। नतीजा, सड़क, पानी, ड्रैनेज, जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग जूझ रहे हैं।
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51 गांव जुड़े, कॉलोनियां कटीं पर न ही सीवेज न स्थायी बिजली

मास्टर प्लान ड्राफ्ट-2031 रद्द करने के बाद मास्टर प्लान-2047 के ड्राफ्ट में राजधानी के आसपास के 51 गांव जोड़े गए हैं। प्लानिंग एरिया 813.92 वर्ग किमी से बढ़कर 1016.90 वर्ग किमी हो गया। लेकिन प्लानिंग एरिया में शामिल गांव की दिशा नहीं सुधरी। पुरानी बसाहट पहले से ही असुविधा झेल रही थी, प्लानिंग एरिया में शामिल होने के बाद बिना अनुमति खेती की जमीन पर विकसित नई बसाहट ने इसे कई गुना बढ़ा दिया। 2047 के लिए शहर में शामिल नए 51 गांवों के साथ बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में शामिल भोपाल व सीहोर जिले के 100 गांवों में से 30 को भी प्लानिंग एरिया में शामिल किया है।

विकास से अछूते गांव में ऐसी दुर्दशा

  • प्लानिंग एरिया में शामिल सेवनियां गोंड गांव में कृषि भूमि पर बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर नई बसाहट बस रही है। लोग रहने लगे हैं पर बिजली कंपनी स्थाई कनेक्शन के लिए अतिरिक्त शुल्क जमा करने का नोटिस दे रही है। सीवेज और पानी के भी लिए लोग तरस रहे हैं।
  • कोलार के गेहूंखेड़ा में केरवा की ओर ऐसी ही बसाहट है। यहां भी लोग ऐसी परेशानी झेल रहे हैं। प्लानिंग एरिया में शामिल 400 कालोनियों में आधा-अधूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर है।
  • भानपुर के मालीखेड़ी के पास कृष्णाधाम व नीलगनन कॉलोनी समेत भोपाल में 100 से अधिक अवैध कॉलोनियों में बिजली इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं है।॒यहां अस्थाई कनेक्शन पर लोग प्रति यूनिट 17 रुपए खर्च कर रहे हैं।

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