राज्य सरकार में परंपरा रही है कि जब-जब केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढ़ता है तो उसी के साथ राज्य के कर्मचारियों का भी सरकार डीए बढ़ा देती है। यानी केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों का डीए एक समान रहा है। पिछले कुछ वर्षों से यह परंपरा टूटी और राज्य कर्मचारी डीए के मामले में पिछड़ते चले गए। सरकार ने डीए दिया तो एरियर नहीं मिला।
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‘कश्मीर घाटी’ से मोह भंग, 40% तक बढ़ी इन 2 जगहों की बुकिंग राज्य में एक और परंपरा यह रही है कि अधिकारियों के साथ कर्मचारियों की डीए की फाइल साथ बढ़ती थी। दोनों को एक साथ डीए मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। नौकरशाहों को तो समय पर डीए मिल जाता है, लेकिन राज्य कर्मचारी इंतजार ही करते रहते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। राज्य में पदस्थ अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को डीए के आदेश जारी हो गए लेकिन कर्मचारियों के आदेश आज तक जारी नहीं हुए।
मुख्यमंत्री को लिखकर आग्रह
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडेय का कहना है सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है। नौकरशाहों को तो 55 प्रतिशत डीए के आदेश हो गए, लेकिन कर्मचारियों के मामले में अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के समान डीए दिए जाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि राज्य कर्मचारियों का पांच प्रतिशत डीए बढ़ाया जाए।