इसका 10 फीसदी भी
भोपाल के हिस्से में आया तो यह राशि 50 हजार करोड़ रुपए होगी। यदि ये कंपनियां 2200 मेगावाट एनर्जी पैदा करेंगी तो पर्याप्त बिजली आपूर्ति की जा सकेगी। इसके अलावा भोपाल में विंड एनर्जी,बायो-सीएनजी और कचरे से भी बिजली प्रोडॅक्शन की योजना पर गंभीरता से कार्य चल रहा है।
हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा
सोलर के साथ विंड एनर्जी के प्लांट जुड़े होंगे। सोलर से ऊर्जा दिन में उपलब्ध होगी, पवन ऊर्जा रात में उत्पन्न होती रहेगी। हाइड्रो पॉवर को भी जोड़ दें तो राउंड द क्लॉक बिजली बनेगी। 2012 से अब तक प्रदेश में नवीनकरणीय ऊर्जा 11 गुना बढ़ी है, लेकिन, भोपाल में एक फीसदी भी नहीं है। नए प्रोजेक्ट से इसमें तेजी आएगी।
पंप स्टोरेज से सहेंजेंगे ऊर्जा
दिन में उत्पादित अतिरिक्त सौर या पवन ऊर्जा को बैटरियों में तो स्टोर करने के अलावा पंप स्टोरेज हाइड्रोपावर यानी पानी को ऊंचाई पर पंप करने टर्बाइन प्रणाली से भी एनर्जी स्टोर की जाएगी। जिससे बाद में बिजली उत्पादन होगा। नवीकरणीय ऊर्जा से पानी का इलेक्ट्रोलिसिस करके हाइड्रोजन उत्पन्न किया जाएगा, जिसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर निरंतर बिजली उत्पादन होगा। इसके अलावा भोपाल में पौधारोपण और ग्रीन कवर बढ़ाकर, नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम को संचालित कर ग्रीन हाउस उत्सर्जन कम करने की भी योजना पर काम चल रहा है।
रिन्यूएबल एनर्जी में अपार संभावनाएं
भोपाल में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स इसकी असीम संभावनाएं हैं। 19 ताल-तलैयाओं में ओंकारेश्वर की तरह फ्लोटिंग प्लांट स्थापित किया जा सकता है। सात पहाडिय़ां हैं, यहां विंड एनर्जी के नए प्रोजेक्ट्स लग सकते हैं। कलियासोत नदी शहर में 17 किमी तक बहती है। यहां बड़े हिस्से में ग्रीन एनर्जी प्लांट स्थापित हो सकते हैं। स्टॉप डेम बनाकर फ्लोटिंग प्लांट लगा सकते हैं। –संयम इंदू रख्या, रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स एक्सपर्ट
रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर काफी बेहतर रिस्पांस आया है
रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर काफी बेहतर रिस्पांस आया है। हमारी टीम अब निवेशकों के संपर्क में है और पूरी मदद देकर प्रोजेक्ट्स तय समय में पूरे कराएंगे।