6 शहरों में न ई-बसें चलीं
सरकार ने पिछले बजट में नगरीय क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास और पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि के लिए जो घोषणाएं की थीं वे पूरी नहीं हो पाईं। 2024-25 के बजट में नगरीय विकास के लिए 16 हजार 744 करोड़ का प्रावधान किया गया था। इसमें कुछ क्षेत्रों में तो काम हुआ, लेकिन कई योजनाएं कागजों में ही रह गईं। विभाग ने जल गंगा संवर्धन अभियान चलाकर कुएं, बावड़ी, नदी, घाटों, मंदिरों की साफ-सफाई कराई। उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ के लिए 500 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया था, जबकि सरकार ने 1500 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यों को मंजूरी दे दी है। पीएम- स्वनिधि योजना में भी अच्छा काम हुआ है। इसमें देश में पहला और पीएम आवास योजना में देश में दूसरा स्थान मिला है।
राजधानी की ही सड़कें नहीं बन पाईं
नगरीय निकायों में जनभागीदारी के माध्यम से अधोसंरचना विकास के लिए जनसहभागिता निर्माण योजना और ग्रीनरी बढ़ाने के लिए नगर वनीकरण योजना प्रस्तावित की गई थी। लेकिन, इन योजनाओं पर वित्त विभाग की आपत्ति के बाद सरकार इन्हें पारित नहीं करा पाई। पीएम ई-बस योजना के तहत इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में 552 ई-बसों का संचालन होना था, लेकिन अभी तक यह बसें ही नहीं आ पाईं। अमृत -2.0 के तहत 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सीवेज योजनाओं का विस्तार करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में तक सीवेज का प्रबंधन नहीं हो पाया। सीवेज जलस्रोतों में मिल रहा है। पिछले साल एनजीटी ने नर्मदापुरम, मंडला जैसे कई नगरीय निकायों पर 70 करोड़ से अधिक पर्यावरण क्षति हर्जाना लगाया था। प्रदेश के सभी शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के समुचित इंतजाम करने की बात कही गई थी, लेकिन अभी प्रदेश के नगरों की डंपिंग साइट्स पर 15 लाख टन से अधिक पुराना वेस्ट जमा है। इसका निस्तारण नहीं हो पाया है। मध्यप्रदेश के शहरों के मास्टर प्लान की सड़कों के उन्नयन और विकास के लिए 250 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बजट में किया गया था। हैरानी की बात तो ये है कि राजधानी की ही मास्टर प्लान की पांच सड़कें नहीं बन पाईं।
स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा के भी कई प्रावधान अधूरे
शासकीय अस्पतालों में उपचार के दौरान दुर्भाग्य से किसी मरीज की मौत होने पर पार्थिव शरीर घर तक सम्मानपूर्वक पहुंचाने के लिए मप्र शांति वाहन सेवा शुरू करने की घोषणा की गई थी। यह सेवा राजधानी सहित कई जिला अस्पतालों में शुरू नहीं हो पाई है। मरीजों के परिजन को एंबुलेंस चालकों को मनमाना शुल्क देकर पार्थिव शरीर ले जाना पड़ रहा है। पिछले बजट में बालाघाट, शहडोल, सागर, नर्मदापुरम और मुरैना में पांच नए आयुर्वेद कॉलेज शुरू करने की घोषणा की गई थी। इनका निर्माण शुरू नहीं हुआ है। स्वास्थ्य क्षेत्र में पदों का सृजन भले ही कर दिया हो, लेकिन भर्ती नहीं होने से लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा। अभी भी प्रदेश के अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के स्वीकृत 4167 पदों में से 2563 पद खाली हैं। मेडिकल ऑफिसर के भी 1424 पद खाली हैं। आयुष्मान योजना से राज्य के एक हजार से अधिक अस्पताल संबद्ध हैं। योजना के लिए 1,381 करोड़ का प्रावधान किया गया था जो पिछले बजट से 45 प्रतिशत अधिक था। हालांकि ज्यादातर बड़े निजी अस्पताल योजना से अलग हो रहे हैं या अच्छे पैकेज वाली कुछ सेवाएं देने संबद्धता ले रहे हैं।
नर्मदापुरम: जमीन आवंटन के बाद भी टेंडर नहीं
नर्मदापुरम को 2024-25 के बजट में मिला आयुर्वेदिक कॉलेज का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। जिला प्रशासन ने कॉलेज के लिए पवारखेड़ा कृषि फार्म में पांच एकड़ भूमि आवंटित की है। भवन निर्माण के लिए आयुष विभाग ना टेंडर बुला सका, ना ही कॉलेज की डिजाइन तय कर सका। जुलाई 2024 में जिला प्रशासन ने नजूल निवर्तन समिति की बैठक में पवारखेड़ा की कृषि फार्म स्थित भूमि खसरा नंबर 9, 13 रकबा 2.833 हेक्टेयर आयुष विभाग को आवंटित कर दी थी। भूमि आयुष विभाग को स्थानांतरित भी कर दी गई है। यहां लगभग 65 करोड़ से कॉलेज भवन का निर्माण होना है। आयुष अधिकारी विमला गरवाल ने बताया कि निर्माण के लिए अभी तक राशि नहीं मिली है। इसलिए इसके टेंडर नहीं बुलाए गए।
छिंदवाड़ा: विवि के भवन का अब तक इंतजार
छिंदवाड़ा जिले में एग्रीकल्चर और हार्टिकल्चर कॉलेज खोलने की घोषणाएं वर्षों पहले हो चुकी हैं, लेकिन आज तक भवनों का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। 2019 में राजा शंकर शाह विवि की स्थापना की गई थी। जमीन भी आवंटित कर दी गई, लेकिन बजट न मिलने से भवन निर्माण शुरू नहीं हो पाया। फिलहाल, विश्वविद्यालय का संचालन पीजी कॉलेज के पुस्तकालय में किया जा रहा है।
सागर में बनने वाला आइटी पार्क उज्जैन में बनेगा
सागर में आइटी पार्क बनाने की घोषणा की गई थी। करीब 56 करोड़ की लागत से 26 एकड़ में इंजीनियरिंग कॉलेज में बनाया जाना था। पार्क विकसित करने के लिए आदेश भी आ गया था, लेकिन कुछ समय बाद सरकार ने आइटी पार्क उज्जैन में शिफ्ट करने के आदेश दे दिए। यदि सागर में आइटी पार्क बनता तो युवाओं का कौशल विकास होता और रोजगार भी मिलता। इसके साथ ही सिद्गुवां इंडस्ट्रियल एरिया भी विकसित किया जा सकता था। यहां इंडस्ट्रियल एरिया में बड़ी फैक्ट्रियां नहीं हैं। आइटी पार्क के आने से उद्योगों से जुड़ी अन्य कंपनियां भी धीरे-धीरे शहर की ओर आना शुरू करतीं। शहर में उच्च शिक्षा संस्थान होने से आइटी पार्क में आने वाली कंपनियों को भी प्रशिक्षित मैनपावर आसानी से मिल सकता था।
आयुर्वेद कॉलेज के लिए जमीन आवंटित
शहडोल संभागीय मुख्यालय को बीते बजट में आयुर्वेद कॉलेज की सौगात दी गई थी। इसके लिए मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत कोटमा में हाईवे के पास 12 एकड़ जमीन आवंटित की जा चुकी है। भवन निर्माण के लिए आयुष मिशन से 70 करोड़ रुपए जारी हो गए हैं। निर्माण का कार्य मध्यप्रदेश भवन विकास निगम को दिया गया है। निगम के अधिकारियों के अनुसार जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। संभागीय मुख्यालय में मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज पहले से है। पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्विविद्यालय का भी संचालन हो रहा है।
पुलिस महकमे में भर्ती को मंजूरी
2024-25 के बजट में गृह विभाग के लिए 11 हजार 292 करोड़ का प्रावधान किया गया था। इसमें पुलिस आवास योजना के लिए 367 करोड़ से लेकर जेल में बंद गरीब कैदियों के जुर्माना और अर्थदंड भरने के लिए गरीब कैदी वित्तीय सहायता योजना शुरू की गई थी। 7500 पुलिसकर्मियों की भर्ती की घोषणा की गई थी। हाल ही में सरकार ने 8500 भर्तियों के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसमें 7500 सिपाही, 500 सब इंस्पेक्टर और 500 पद ऑफिस स्टाफ के पद शामिल किए जाएंगे। एक जुलाई 2024 को नए कानून लागू कर दिए गए हैं। इसे लेकर संसाधनों मुहैया करवाए जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नक्सल विरोधी अभियान संबंधी बैठक में मार्च 2026 तक नक्सल गतिविधियों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। इस लक्ष्य को पाने प्रदेश में संभावित नक्सल क्षेत्र में ऑपरेशन चलाए जा रहे है। हाल ही में चार नक्सलियों को बालाघाट में मारा गया है।