पहला : दलितों पर अत्याचार में मप्र चार साल से नंबर-1 क्यों?
पटवारी ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में हर दिन औसतन 16 से ज्यादा दलित उत्पीड़न के मामले दर्ज होते हैं। 2023 में यह संख्या 6,150 से अधिक रही। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यही भाजपा का “सबका साथ, सबका विकास” है? क्या यह संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के साथ विश्वासघात नहीं है?
दूसरा: आदिवासियों पर अत्याचार में मप्र दूसरे नंबर पर क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष ने आदिवासी बहुल जिलों जैसे झाबुआ, धार, मंडला और डिंडोरी में आदिवासी समुदाय के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और दमन की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि ये घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने पूछा – क्या यह भाजपा की जनजाति विरोधी मानसिकता को उजागर नहीं करता?
तीसरा : महिलाओं के खिलाफ अपराधों में टॉप पर क्यों है मप्र?
जीतू पटवारी ने खुलासा किया कि 2023 में मध्यप्रदेश में बलात्कार के 12,500 से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये आंकड़े भाजपा की महिला सुरक्षा पर कथित प्रतिबद्धता को झूठा नहीं ठहराते? यह भी पढ़े –
भोपाल में गृहमंत्री अमित शाह, मोहन कैबिनेट के साथ लंच के बाद सहकारिता सम्मेलन में हुए शामिल चौथा : हर घंटे एक महिला पर अपराध, ये कैसा “सुशासन”?
पटवारी ने कहा कि हर घंटे कोई महिला बलात्कार, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा या अपहरण की शिकार होती है। बावजूद इसके, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गृह मंत्रालय अपने पास रखकर भी मौन हैं। उन्होंने पूछा कि जब खुद मुख्यमंत्री गृह मंत्री हों, तो फिर कानून व्यवस्था इस कदर लचर क्यों है?
पांचवा: कानून व्यवस्था ध्वस्त क्यों?
मुरैना से लेकर मंदसौर और बैतूल से लेकर भोपाल तक अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। पटवारी ने कहा कि बच्चियों का अपहरण, किसानों से लूट, व्यापारियों से रंगदारी अब आम हो गया है। क्या सरकार केवल इवेंट मैनेजमेंट तक ही सीमित रह गई है?
छठवां: क्या अपराधियों को भाजपा का संरक्षण मिल रहा है?
उन्होंने आरोप लगाया कि बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में भाजपा से जुड़े कई आरोपियों के नाम सामने आ चुके हैं। कई मामलों में FIR तक दर्ज नहीं होती और आरोपी सत्ता संरक्षण में खुलेआम घूमते हैं। क्या भाजपा की यही ‘न्याय नीति’ है? यह भी पढ़े –
क्या इस बार लाडली बहनों को मिलेंगे ज्यादा पैसे? आने वाली है 23वीं किस्त सातवां: गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास, फिर भी नाकामी क्यों?
जीतू पटवारी ने सीधा हमला करते हुए कहा कि जब प्रदेश के मुखिया खुद गृह मंत्रालय संभाल रहे हैं, तो अपराध पर लगाम क्यों नहीं लग रही? उन्होंने सवाल किया – क्या यह सीधी प्रशासनिक विफलता नहीं है? क्या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मध्य प्रदेश आकर मप्र सरकार के अब तक के सबसे नाकाम गृहमंत्री को कोई सबक देंगे?
आठवां: क्या केंद्र सरकार ने गृहमंत्री को सुधारने की कोई कोशिश की?
कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार और खुद अमित शाह ने पिछले तीन वर्षों में मध्यप्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर क्या कदम उठाए? या सब कुछ राम भरोसे छोड़ दिया गया है? उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री को प्रदेश की जनता को यह सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए कि हालात सुधारने के लिए केंद्र ने क्या किया?
नौवां: पुलिस भर्ती, ट्रेनिंग, मॉडर्नाइजेशन, सब ठप क्यों?
पटवारी ने कहा कि पुलिस बल में हजारों पद खाली हैं, प्रशिक्षण सुविधाएं बदहाल हैं, साइबर क्राइम यूनिट्स बेहद कमजोर हैं। उन्होंने पूछा – क्या यह वजह नहीं है कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे खड़ी है? यह भी पढ़े –
एमपी के नर्मदापुरम में सांसद का नाम लेकर धमकाया, डॉक्टर को बंधक बनाकर ले गए लोग दसवां: ‘डबल इंजन सरकार’ या डबल फेलियर?
कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया – क्या अमित शाह और नरेंद्र मोदी की ‘डबल इंजन सरकार’ मानती है कि मप्र में वह जनता को सुरक्षा, सम्मान और शांति देने में पूरी तरह विफल रही है? अगर आंकड़े यही सच दिखा रहे हैं, तो इस विपरीत स्थिति को सुधारने के लिए डबल इंजन की दिशा क्यों नहीं बदली जा रही? पटवारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह प्रदेश की जनता को इन सवालों का सार्वजनिक और पारदर्शी जवाब दें। यह केवल विपक्ष का सवाल नहीं है, बल्कि उन हजारों परिवारों का दर्द है, जो इस अपराधराज के शिकार बने हैं।