ड्रोन संबंधी इकाइयों के लीज रेंटल पर 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति या प्रति वर्ष 5 लाख रुपए तक, जो भी कम हो, तीन साल की अवधि के लिए दी जाएगी। राज्य सरकार द्वारा पहचाने गए क्षेत्रों में रिसर्च एंड डेवलपमेंट परियोजना शुरू करने के लिए 2 करोड़ तक की सहायता। प्रमुख क्षेत्रों में इंटर्न को मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना (एमएमएसकेवाई) के तहत 8000 रुपए प्रति माह (6 महीने तक) की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
प्रदर्शनियों/कार्यक्रमों आदि में भाग लेने के लिए किए गए खर्च पर 50 प्रतिशत सब्सिडी, घरेलू कार्यक्रमों के लिए एक लाख रुपए और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए दो लाख रुपए होगी। भूमि के पट्टे पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की वापसी। घरेलू पेटेंट के लिए प्रति पेटेंट पांच लाख रुपए और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए 10 लाख रुपए अथवा वास्तविक लागत सरकार वहन करेगी।
2030 तक 144 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है कारोबार
-144 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है 2030 तक वैश्विक ड्रोन बाजार, 2022 में यह 71 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास था। -13 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है भारतीय ड्रोन बाजार, फिलहाल यह 2.71 अरब डॉलर के आसपास है -91.46 करोड़ का वित्तीय भार आएगा सरकार पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने सहित अन्य पर
यह है नीति का उद्देश्य
सरकार ने ड्रोन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई मप्र ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025 में यह प्रावधान किए हैं। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। उद्देश्य बेहतर शासन और सेवा वितरण के लिए सरकार के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके साथ ड्रोन प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास बढ़ाना, ड्रोन उद्योग के लिए कुशल कार्यबल विकसित करना, ड्रोन निर्माण और सेवाओं में निवेश को आकर्षित करने राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए पॉलिसी बनाई गई है। ड्रोन टेक्नोलॉजी में पांच साल में प्रदेश में लगभग 370 करोड़ निवेश आने की संभावना है। इससे रोजगार के लगभग 8 हजार अवसर सृजित होंगे।