दरअसल, NIA ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट से साल 2008 के मालेगां बम ब्लास्ट मामले में सभी सात आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि UAPA की धारा 16 के तहत मौत की सजा देने का अनुरोध किया है। एनआईए की ओर से आखिरी दलील की गई है।
जिसमें उल्लेख किया गया है कि साल 2008 में हुए बम ब्लास्ट में छह मुस्लिम मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हुए। एनआईए के द्वारा दायर की गई दलील में डेढ़ हजार से ज्यादा पन्ने हैं। कोर्ट ने अपने फैसला सुरक्षित रखा लिया है। 8 मई को मालेगांव ब्लास्ट पर फैसला आएगा।
पहले NIA के द्वारा साध्वी प्रज्ञा को बरी करने की कोशिश की थी, लेकिन तब एजेंसी के पास कोई ठोस सबूत नहीं था। अब एनआईए ने अपना रूख बदल लिया है। एजेंसी के द्वारा स्पष्ट किया गया है कि साध्वी प्रज्ञा के साथ किसी भी प्रकार की नरमी न बरती जाए।
इस केस में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, स्वामी दयानंद पांडे, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी और सुधाकर चतुर्वेदी पर आरोप है कि उन्होंने हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी एक बड़ी साजिश के तहत बम ब्लास्ट की योजना बनाकर अंजाम दिया था।
जमीयत उलेमा ने भी की फांसी की मांग
जमीयत उलेमा महाराष्ट्र के लीगल सेल के वकील शाहिद नदीम ने बताया कि एजेंसी के द्वारा UAPA कानून की धारा 16 का हवाला दिया है। इसके मुताबिक, किसी आतंकी हमले में किसी की मौत होती हैं, तो दोषियों को फांसी तक की सजा दी जा सकती है। बता दें कि, सितंबर 2008 में मालेगांव ब्लास्ट ऐसा हमला था। जिसमें हिंदूत्व संगठनों को संदिग्ध के तौर पर चिन्हित किया गया था। मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव की एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में बम ब्लास्ट हुआ था। जिसमें 6 की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।