तालीम में मुस्लिम समुदाय की रैंकिंग बाकी वर्ग के मुकाबले काफी कम है। मुस्लिम एजुकेशन एवं कॅरियर प्रमोशन सोसायटी शिक्षा को बढ़ाने का काम कर रही है। सिर्फ सोसायटी ने अपने प्रयासों से करीब तीस लाख रुपए जकात के रूप में जमा किए। इसे बैतुल माल संस्था जरूरतमंदों तक पहुंचा रही हैं।
5000 को अब तक सहायता, इस साल 835 का चयन
मीकेप्स के जफर हसन के मुताबिक समिति तीन दशक से काम कर रही है। पांच हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जो इस मदद से डॉक्टर इंजीनियर और अफसर बन पैरों पर खड़े हो चुके हैं। इस साल 835 का चुनाव हुआ। ये संख्या बढ़ेगी।
जकात की राशि करोड़ों में
जकात व्यक्तिगत दान है। इसकी सही गणना मुश्किल है। राजधानी में दस लाख मुस्लिम आबादी है। जमीयत के इमरान हारून के मुताबिक जकात जमा करने का काम तेज हो गया है।
शिक्षा की तरफ बढ़ा रुझान
सिटीजन फोरम के अध्यक्ष और बैतुल माल के सदस्य मोहम्मद आफाक के मुताबिक शिक्षा की तरफ रुझान बढ़ा हैं। जकात से बच्चे तालीम हासिल करें, इससे बेहतर इस्तेमाल नहीं हो सकता है।
क्या आप जानते हैं क्या है जकात और इसका हकदार कौन?
रमजान माह में मुस्लिम धर्मावलंबी जकात और फितरा अदा करते हैं। ताकि जो जरूरतमंद हैं उनकी मदद हो सके। इस्लाम में, जकात फर्ज है। जिसमें एक निश्चित सीमा से अधिक संपत्ति वाले मुसलमानों को अपनी संपत्ति का एक हिस्सा जरूरतमंदों को दान करना होता है। मुसलमान के पास जकात देने के लिए संपत्ति होना चाहिए। यदि 87.48 ग्राम सोना और 612.36 ग्राम चांदी या इससे अधिक की संपत्ति है तो वह जकात कर सकता है। जकात केवल उस संपत्ति पर फर्ज है जो ऋण-मुक्त है। यदि किसी व्यक्ति पर ऋण है, तो उसे अपनी कुल संपत्ति से घटा दिया जाएगा और फिर जकात तय कर सकते हैं। केवल उन ऋणों को ही घटाया जाएगा जो, तुरंत चुकाना हैं या जिनका भुगतान कुछ समय बाद करना आवश्यक है। जकात की राशि कुल संपत्ति का 2.5 प्रतिशत है। इसको इस तरह से भी समझ सकते हैं, यदि आपके पास 10 लाख रुपए की संपत्ति है तो आपको 25,000 रुपए जकात के रूप में देने होंगे। जकात ईद के पहले दिया जाना वाजिब होता है। इससे जरूरतमंदों की मदद होती है।
8 तरह के लोगों को दी जा सकती है जकात
गरीब: वे लोग जिनके पास अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। जरूरतमंद (मिस्कीन): वे लोग जिनकी स्थिति गरीबों से थोड़ी बेहतर है, लेकिन फिर भी उन्हें मदद की जरूरत है। आमिलिन: वे लोग जो जकात एकत्र करने और वितरित करने का काम करते हैं। रिकाब: यह अब जरूरी नहीं है, लेकिन इसका अर्थ उन लोगों की मदद करना था जो गुलामी में थे। गारिमीन: वे लोग जो अपने ऋणों का भुगतान करने में असमर्थ हैं।
फी सबीलिल्लाह: इसमें वे लोग शामिल हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल या आपदा राहत के लिए कार्य करते हैं। मुसाफिर: वे यात्री जो आर्थिक रूप से संकट में हैं। इन आठ श्रेणियों के अलावा, जकात को किसी भी ऐसे व्यक्ति को दिया जा सकता है जो जरूरतमंद है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, उसकी मदद की जा सकती है।