डेढ़ करोड़ पुस्तकों की दरकार
राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल को प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क वितरण के लिए डेढ़ करोड़ पुस्तकों की आवश्यकता है। वहीं निजी स्कूलों में विद्यार्थी पाठ्य पुस्तकों के लिए परेशान है। राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल सरकारी स्कूलों में पुस्तकों की आपूर्ति के साथ बाजार में भी पुस्तकें उपलब्ध करवाता है। ऐसे में बाजार में पुस्तक विक्रेताओं के पास भी पर्याप्त संख्या में पुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं हो रही है।
पाठ्यक्रम बदला, पुरानी किताबें रद्दी
सरकारी स्कूलों में कक्षा 7 से 12 तक की सभी किताबों का वितरण किया जा चुका है। बाजार में भी कक्षा 7 से आगे की कक्षाओं की पुस्तकें पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। शिक्षा सत्र 2025-26 में सरकार ने कक्षा एक से छह तक पूरा पाठ्यक्रम ही बदल दिया है। ऐसे में पुरानी सभी पुस्तकें रद्दी हो गई है। एक साथ बड़ी संख्या में पुस्तकों का मुद्रण करने में समय लग रहा है।इन जिलों में ये हाल
अलवर: पहली की एक, कक्षा 2 की 3 में से एक किताब पहुंची है।कोटपूतली-बहरोड़: जिले में पुस्तकें नहीं आई हैं।
श्रीगंगानगर: कक्षा 1 से 12वीं तक के 48 फीसदी विद्यार्थी वंचित हैं।
कोटा: एक से पांचवीं कक्षा तक की किताबें अभी आधी आई हैं।
नागौर: ज्यादातर किताबें अब तक आई नहीं है।
उदयपुर: पांचवीं तक की पुस्तकें नहीं आई है।
दौसा: 3.50 लाख की जरूरत है, 63 हजार पुस्तकें वितरित।
टोंक: 3. 40 लाख की जरूरत है, 55 हजार पुस्तकें वितरित।
स.माधोपुर: 3.25 लाख की जरूरत, 80 हजार पुस्तकें ही पहुंची।
झालावाड़: चाढ़े चार लाख पुस्तकों का इंतजार।
करौली: 3.45 लाख पुस्तकों की जरूरत है, 65 हजार ही पहुंची।