शासन ने कर दी थी प्रक्रिया
प्राचार्य प्रमोशन को लेकर
हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगी है। एक मामला 2019 की प्रक्रिया का है, जबकि दूसरा प्रकरण 2025 और बीएड-डीएलएड से जुड़ा है। 28 मार्च 2025 को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया था कि अगली सुनवाई तक प्राचार्य प्रमोशन का आदेश जारी नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी 30 अप्रैल को प्रमोशन लिस्ट जारी कर दी गई। अगले दिन एक मई को हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्त्रिस्या पर रोक लगा दी थी। बुधवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकीलों ने इस मुद्दे को जोर से उठाया।
नियम विरुद्ध ज्वाइनिंग पर हाईकोर्ट नाराज
याचिकाकर्ताओं न ज्वाइनिंग का मुद्दा भी उठाया। बताया गया कि व्यायाता से प्राचार्य पद की पदोन्नति पर 7 मई तक रोक थी। इसके बाद भी कई जिलों में ज्वाइनिंग जारी रही। बताया गया कि प्राचार्यों के प्रमोशन आदेश में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया था कि यह पदोन्नति हाईकोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी। उसके बाद काउंसलिंग के जरिये डीपीआई पोस्टिंग करेंगे। इसके बाद भी कई जगहों पर प्राचार्य पद पर ज्वाइनिंग देकर पावती ले ली गई। इसमें डीईओ और व्यायाताओं के मिलीभगत भी सामने आई।