लॉटरी तो हो चुकी है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चयनित बच्चों की सूची तक चस्पा नहीं है, न ही कोई हेल्प डेस्क बनाया गया है। इस वजह से चयनित या अस्वीकृत बच्चों के अभिभावकों को यह तक पता नहीं चल पा रहा कि उनके बच्चे का नाम लॉटरी में आया भी है या नहीं। गरीब तब के अभिभावक च्वाइस सेंटर व डीईओ कार्यालय के चक्कर काट रहे ताकि उन्हें पता चल जाए कि उनके बच्चे का नाम संबंधित स्कूल में आया कि नहीं। आरटीई के तहत हर वर्ष निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को मुफ्त प्रवेश दिया जाता है।
डीईओ दफ्तर में कोई जानकारी देने वाला नहीं
आरटीई से लॉटरी निकलने के बाद डीईओ कार्यालय में न तो चयनित अभ्यर्थियों की सूची लगाई गई है और न ही कोई जानकारी देने के लिए कर्मचारी तैनात किया गया है। नतीजतन, ग्रामीण व अशिक्षित वर्ग के कई अभिभावक घंटों यहां पहुंचकर इधर-उधर पूछताछ करते नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा। आरटीई विभाग मनीष यादव के पास है, लेकिन वह भी अपने कक्ष में मौजूद नहीं रहते हैं। ऐसे में अभिभावक जानकारी के लिए परेशान हो रहे हैं।
इस तरह ले सकते हैं जानकारी
कई अभिभावकों को यह जानकारी तक नहीं है कि उनके बच्चे का चयन किसी निजी स्कूल में हुआ है तो उसका पता कैसे लगाया जाए। ऐसे में अभिभावक गूगल से आरटीई की वेबसाइट सर्च कर उसमें छात्र पंजीयन के पेज में जाकर वहां आरटीई की स्थिति वाले बटन पर क्लिक कर फिर आवेदन क्रमांक और जन्म तिथि डालकर आवेदन की स्थिति देख सकते हैं कि बच्चे का आवेदन स्वीकार हुआ कि नहीं हुआ। यदि हुआ तो कौन से स्कूल में हुआ, इसकी भी जानकारी मिल जाएगी।