जिले में कौन सी बीमारी का फैलाव किस स्तर तक है, इसकी सटीक जानकारी बिना व्यापक स्तर पर जांच के संभव नहीं है।
बिलासपुर जिले में भी दोनों बीमारियों को लेकर यही स्थिति सामने आ रही है।
पिछले तीन महीने टीबी उमूलन अभियान चलाया गया था। इसमें जब बारीकी से संदिग्धों की जांच हुई तो दो माह मेें ही जिले में 600 से ज्यादा इसके संक्रमित मिल गए। इसी तरह फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जब 6 साल से ऊपर वाले 10 हजार बच्चों की जांच की गई तो पता चला कि इसमें 273 बच्चे संक्रमित हैं। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने इस जिले को विशेष रूप से चिंहित कर 27 फरवरी से 21 दिवसीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान शुरू किया है।
बारीकी से जांच के लिए एंटीजन टेस्ट: बतादें कि अब तक जिले में फाइलेरिया टेस्ट के लिए नाइट स्लाइड जांच की पद्धति अपनाई जाती थी, जिसमें केवल लार्वा की उपस्थिति की जांच होती थी। लेकिन फाइलेरिया के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए अब एंटीजन टेस्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। इस टेस्ट के जरिए शरीर में फाइलेरिया परजीवी की मौजूदगी की अधिक सटीक जानकारी मिल सकेगी।
गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने पर जोर
फाइलेरिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए छग सरकार ने जिले को हाई अलर्ट पर रखा है। राज्य स्तर पर स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि ब्लड स्लाइड जांच को प्राथमिकता दी जाए और संभावित संक्रमितों की समय रहते पहचान की जाए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने और आवश्यक जांच करने का निर्देश दिया गया है।
बता दें कि फाइलेरिया एक परजीवी जनित बीमारी है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। यह रोग मुख्य रूप से लसीका तंत्र (लिफेटिक सिस्टम) को प्रभावित करता है, जिससे शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है। इस बीमारी के कारण हाथ-पैरों और अन्य अंगों में सूजन हो सकती है, जिसे आम भाषा में ‘हाथी पांव’ भी कहा जाता है।
जलकुंभी के साफ पानी में पनपते हैं फाइलेरिया के क्यूलैक मच्छर
फाइलेरिया फैलाने वाले क्यूलैक मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। अरपा नदी और शहर के तालाबों की जलकुंभी इन मच्छरों के लिए मुफीद जगह है। क्योंकि जलकुंभी के पत्तों में साफ पानी का जमाव रहता है। यहां पर क्यूलैक के लार्वा को पनपने के लिए आदर्श वातावरण मिलता है। इसी वजह से जिले के तालाबों और अरपा नदी में जलकुभी के अत्यधिक बढ़ने से मच्छरों की संया में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके चलते स्थानीय लोगों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलकुभी की सफाई और नदी के पानी की नियमित देखभाल से ही इस समस्या का समाधान संभव है। प्रशासन को चाहिए कि वे जलकुभी की सफाई करें और मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए सत कदम उठाएं।
बीमारी के लक्षण
पैरों, हाथों, अंडकोष या स्तनों में असामान्य सूजन
बार-बार बुखार आना
त्वचा में असहज खुजली और जलन
प्रभावित अंगों में भारीपन और दर्द
रोकथाम और बचाव के उपाय ऐसे बचें
साफ-सफाई के माध्यम से मच्छर नियंत्रण
सोते समय मच्छरदानी का उपयोग
नियमित जांच
समय पर दवा सेवन
उसलापुर स्थित तालाब
अरपा नदी
अस्पतालों में मुत में मिल रही दवा
जिले में बढ़ते फाइलेरिया मामलों को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि लोग सतर्क रहें और बीमारी को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त कोशिशों से इस बीमारी को जल्द ही नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में इसके लिए तीन दवाओं का डोज डीईसी, आईवीसीआर मेक्टिम व एलबेंडाजॉल मुत दिया जा रहा है। लोग इसे खाकर इस संक्रमण के खतरे से बचें। – डॉ. प्रमोद तिवारी, सीएमएचओ