इससे पूर्व जनवरी में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने राज्य के डीजीपी को व्यक्तिगत शपथपत्र देकर संपूर्ण जानकारी देने को कहा था। साथ ही यस बैंक को पक्षकार बनाकर बैंक में अनिमेष सिंह के नाम के खाते से होने वाले समस्त लेनदेन की संपूर्ण जानकारी कोर्ट को बताने कहा था। हाल ही में यस बैंक के अधिवक्ता ने खाते से किए गए लेन-देन के मामले में कुछ जानकारियां न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। इस पर राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने मामले की पुन: जांच किए जाने का न्यायालय से निवेदन किया।
जानें पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि इस मामले में खुर्सीपार
भिलाई नगर थाने में दो अलग अलग एफआईआर दर्ज की गई थी। पहली रिपोर्ट अनिमेष सिंह द्वारा लिखी गई थी। इसके अगले ही दिन रायपुर के बड़े सिविल ठेकेदार हितेश चौबे ने अपनी तरफ से काउंटर एफआईआर दर्ज करा दी थी। प्रथम एफआईआर के तुरंत बाद लीपापोती करते हुए अनिमेष सिंह द्वारा दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट को शासन द्वारा खत्म किए जाने के लिए न्यायालय को लिखा गया। जबकि हितेश चौबे के द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर अब तक जांच चल रही है।
अनिमेष सिंह के द्वारा प्रकरण में विधिवत जमानत ले लिए जाने के बावजूद डीजीपी द्वारा प्रस्तुत किए गए शपथ पत्र में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया बल्कि अनिमेष सिंह को भगोड़ा घोषित करते हुए शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
हवाला से लेनदेन की भी आशंका
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कहा है कि सीबीआई से जांच के विकल्प खुले हुए हैं। याचिकाकर्ता द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। ऐसे में यदि शासन द्वारा उचित प्रकार से जांच कर कार्यवाही नहीं की गई तो सीबीआई से जांच कराई जा सकती है। याचिकाकर्ता प्रभुनाथ मिश्रा ने कहा कि निश्चित रूप से अनिमेष सिंह के नाम से खोले गए खाते में हवाला के माध्यम से पैसे का लेनदेन हुआ है।