शिशु दंत रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में मिठाइयों, चॉकलेट, टॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स और नमकीन स्नैक्स का अत्यधिक सेवन बहुत आम हो गया है। इन खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में शक्कर और नमक होता है, जो मुख में मौजूद स्लाइवा के साथ रासायनिक प्रतिक्त्रिस्या करते हुए बायोप्रोडक्ट बनाते हैं। ये बायोप्रोडक्ट मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ाते हैं, जिससे दांतों में सडऩ शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे दांतों की जड़े कमजोर हो जाती हैं।
आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स के वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. भूपेंद्र कश्यप बताते हैं कि जब दूध के दांत असमय गिरते हैं, तो उनके नीचे स्थायी दांतों के आने की प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इससे या तो नए दांत आते ही नहीं या देर से आते हैं या फिर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। सिम्स व जिला अस्पताल में हर माह 50 से ज्यादा बच्चे इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
1 वर्ष तक नमक, 2 वर्ष तक शक्कर को ना
बच्चों की मुस्कान को हमेशा खूबसूरत बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उनके दूध के दांतों की रक्षा की जाए। खानपान की आदतों में बदलाव और नियमित दंत जांच के माध्यम से इस गंभीर होती समस्या से निपटना संभव है। बच्चे को एक वर्ष की आयु तक नमक और दो वर्ष तक की आयु तक शक्कर नहीं देनी चाहिए। इस उम्र तक बच्चे की किडनी पूर्णतया परिपक्व नहीं होती है। नतीजतन वह नमक और चीनी को प्रोसेस नहीं कर पाती है। बच्चों में करीब 13 साल तक मिक्स दांत चलते हैं, लिहाजा इस दौरान उक्त सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है। ताकि भविष्य में उनके दांत मजबूत बने रहें।
2 साल तक के बच्चों को शक्कर व नमक से रखें दूर
दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक गुप्ता के अनुसार बच्चों को कम से कम 1 साल तक नमक और दो साल तक शक्कर से दूर रखना चाहिए। बच्चों में 6 महीने बाद पहला दूध का दांत आता है। इसके बाद बाकी दांतों की आने की प्राकृतिक प्रक्त्रिस्या शुरू होती है। इस दौरान उन्हें खाने में शक्कर व नमक देने से दांतों की जड़ों का विकास अवरुद्ध होने लगता है। क्योंकि मुख में मौजूद स्लाइवा में उपस्थित बेक्टीरिया को मीठा ज्यादा पसंद है। मीठे के संपर्क में आकर बायोप्रोडक्ट के माध्यम से बेक्टीरिया दांत की जड़ों में जमकर सडऩ पैदा करते हुए असमय दूध के दांतों को गिरा देता है। ऐसे में चूंकि प्राथमिक अवस्था में ही दांतों की जड़े खराब हो जाती हैं, तो ऐसे में नए दांत आना मुश्किल हो जाता है। आते भी हैं तो कमजोर व टेढ़े-मेढ़े।