Hanuman Jayanti Special: हनुमान जी के भक्त को था कुष्ठ रोग
माना जाता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा 10वीं शताब्दी की है। किवदंती है कि मंदिर का निर्माण रतनपुर के तत्कालीन राजा पृथ्वी देवजू ने कराया था। वे हनुमान जी के भक्त थे ही उन्हें कुष्ठ रोग भी था। एक रात राजा के सपने में हनुमानजी आए और उन्हें मंदिर बनाने का आदेश दिया। जब मंदिर का काम पूरा होने वाला था, तब राजा के सपने में फिर हनुमान जी आए और उन्हें महामाया कुंड से मूर्ति निकाल कर मंदिर में स्थापित करने कहा। कुंड से मूर्ति निकाली गई तो हनुमान जी की मूर्ति को स्त्री रूप में थी। फिर इसे मंदिर में स्थापित किया गया। इसके बाद राजा की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो गई।
देवी स्वरूपी मूर्ति की यह है कहानी
मंदिर के महंत तारकेश्वर पुरी बताते हैं कि जब अहिरावण, श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गए थे और उनकी जब बलि दे रहे थे, तो अहिरावण की इष्ट देवी के स्थान पर हनुमानजी स्वयं रहते हैं। बलि देने से पहले ही देवी रूपी हनुमान जी अहिरावण की भुजा उखाड़ दी और दोनों को पाताल लोक से मुक्त कराया। उसी देवी स्वरूप में गिरजाबंध में आज भी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, जिसकी पूजा की जाती है।
ऐसी है हनुमानजी की प्रतिमा
Hanuman Jayanti Special: मंदिर में नारी स्वरूप प्रतिमा के बाएं कंधे पर
श्रीराम और दाएं कंधे पर लक्ष्मण विराजमान हैं। हनुमान के पैरों के नीचे 2 राक्षस हैं, जिसमें से एक बलि देने वाले कसाई और दूसरा अहिरावण की मूर्ति है। इसमें पाताल लोक का चित्रण भी है। मूर्ति में रावण के भाई अहिरावण का संहार करते हुए दर्शाया गया है।