यह मेरा पहला टारगेट है। छत्तीसगढ़ में क्या कर सकता हूं पार्टी के लिए, ये मेरा दूसरा लक्ष्य है। बाकी बातें इसके बाद की है। यह कहना है कि पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का। वे सोमवार को रायपुर जाते समय पूर्व विधायक शैलेष पांडे के निवास पर रुके थे। इस दौरान उन्होंने पत्रिका के सवालों का बेबाकी से जवाब दिया। प्रस्तुत है उनसे चर्चा के प्रमुख अंश।
पत्रिका: चिरमिरी और अंबिकापुर में अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का यह बयान कि प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव आपके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। आप क्या कहेंगे? सिंहदेव: उन्होंने यह बात लोकल लीडर के संदर्भ में मेरा सपोर्ट करते हुए कही थी कि ये आगे भी रहेंगे। उन्होंने टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में और हम सब के नेतृत्व में अगला चुनाव लडऩे की बात कही थी। चुनाव कौन और किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, ये केंद्रीय हाईकमान तय करता है। पत्रिका: बिलासपुर सहित कई जिलों में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर निष्कासन की कार्रवाई हो रही है। क्या वजह है? सिंहदेव: नगरीय निकाय चुनाव में जिन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पार्टी के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ खुलेआम काम किया है। उन पर कार्रवाई की गई है। यह बिलासपुर ही नहीं, अन्य जिलों में भी हो रही है। अगर पार्टी गाइडलाइन के बाहर कोई काम करे तो कार्रवाई जरूरी है, वरना संगठन नहीं रह जाएगा। ये हर दल ने किया है। इस कार्रवाई को गुटीय रूप में देखना ठीक नहीं होगा।
पत्रिका: 13 माह की साय सरकार के कामकाज को लेकर आप 10 में से कितना अंक देंगे? सिंहदेव: अभी तो 4 अंक दूंगा। साय सरकार के नए काम कहीं नहीं दिख रहे हैं। 3100 रुपए में धान खरीदने का वादा अभी तक अधूरा है।
पत्रिका: अंबिकापुर निगम चुनाव में प्रत्याशी डॉ. अजय तिर्की की हैट्रिक के बारे में भाजपा भी मान रही थी कि उन्हें 10 में से 9 सीटें मिलेंगी। मगर उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा?
सिंहदेव: इसकी दो बड़ी वजह है। पहली, निगम क्षेत्र में पिछले 5 वर्ष के कार्यकाल में हम लोगों की उमीद के अनुरूप काम नहीं कर पाए। डॉ. तिर्की 10 साल से मेयर थे। पहले कार्यकाल में 225 करोड़ खर्च हुए तो दूसरे में 255 करोड़। पहले कार्यकाल में हम लोग भी कैबिनेट के सदस्य थे तो लोगों ने उमीदें पाल रखी थी, जो पूरी नहीं हुई। वहां एक बात और चल गई थी कि शहर की सड़कें खराब हैं। जब एक बात को बार-बार दोहराया जाता है तो लोगों के मन में बात गहराई से बैठ जाती है। जबकि ये सड़कें एनएच की है।
पत्रिका: आप मानते है निकाय चुनाव में टिकट फाइनल करने में कांग्रेस ने काफी देर लगा दी? सिंहदेव: रायपुर के प्रत्याशी चयन में जरूर देरी हुई थी। बाकी में तो करीब-करीब सबकी सहमति थी। चयन के लिए डीसीसी लेवल पर डेलीगेट कर दिया था। वहां से नाम फाइनल होने पर पीसीसी से अनुमति लेकर घोषणा कर दी गई थी। कहीं न कही कुछ पार्षदों के लिए फर्क आता है। बाकी तो प्रत्याशियों के नाम एक के बाद एक घोषित किए जा रहे थे।
पत्रिका: विधानसभा के बाद लोकसभा और अब नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों से लगता है कि छत्तीसगढ़ में दबे पांव हिंदुत्व की एंट्री हो गई है? सिंहदेव: ये भाव लोगों के बीच में धीरे-धीरे लाया जा रहा है, और वो विद्यमान है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हम इसलिए हारे कि हिंदुत्व की बात हो या दूसरी धर्म से जुड़ी बात हो, तो ऐसा मुझे नहीं लगता। लोकसभा चुनाव में ये मुद्दा इनडायरेक्ट जुड़ता है क्योंकि मोदीजी का सारा प्रचार हिंदुत्व के अगल-बगल ही चलता है। लोकसभा के चुनाव में ये फैक्टर काम करता है। जैसे अयोध्या में रामलला मंदिर उद्घाटन हो केरल में हनुमान मंदिर का मुद्दा। ये एक सोची समझी रणनीति के तहत आरएसएस व भाजपा जो आजादी के पहले करना चाहते थे। उसी दिशा में अब शनै: शनै: दिखते चले जा रहे हैं।