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रामगढ़ विषधारी के बफर जोन में वन विभाग का दखल

राज्य में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में तीन साल पहले अस्तित्व में आए रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघ-बघेरों सहित अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा टाइगर रिजर्व के दो भागों में बंटे प्रशासनिक नियंत्रण के चलते खतरे में है।

बूंदीMay 08, 2025 / 07:17 pm

पंकज जोशी

रामगढ़ विषधारी के बफर जोन में वन विभाग का दखल

गुढ़ानाथावतान क्षेत्र में रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व के कलदां बफर जोन में भूकी का नाला जो टाइगर कॉरिडोर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस जंगल को बाघों के अनुकूल बनाने के कोई प्रयास अभी तक नहीं हुए है।

गुढ़ानाथावतान, बूंदी. राज्य में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में तीन साल पहले अस्तित्व में आए रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघ-बघेरों सहित अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा टाइगर रिजर्व के दो भागों में बंटे प्रशासनिक नियंत्रण के चलते खतरे में है।1501 वर्ग किलोमीटर में बने इस टाइगर रिजर्व का 634 वर्ग किलोमीटर का महत्वपूर्ण जंगल प्रादेशिक वन खण्ड के नियंत्रण में आता है और शेष 867 वर्ग किलोमीटर टाइगर रिजर्व के कोर उपवन संरक्षक के कार्य क्षेत्र का भाग है।
दोहरे प्रशासनिक नियंत्रण के चलते टाइगर रिजर्व में आने वाले 634 वर्ग किलोमीटर के बफर जोन में बाघों व तेंदुओं के अनुकूल कॉरिडोर विकसित करने का काम गति नहीं पकड़ पाया है। बूंदी शहर से भीमलत महादेव व बसोली क्षेत्र के जंगल का 634 वर्ग किलोमीटर का जंगल बूंदी वन मंडल उपवन संरक्षक के अधीन आते है, जो टाइगर रिजर्व का महत्वपूर्ण जैवविविधता वाला क्षेत्र है। रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य व चबल घड़ियाल अभयारण्य कोर क्षेत्र में शामिल है, जो उपवन संरक्षक कोर के अधीन है।
इसके साथ ही भीमलत, भीलवाड़ा जिले के बांका भोपातपुरा व जेतपुर से कमलेश्वर महादेव तक का बफर क्षेत्र भी उपवन संरक्षक कोर के अंतर्गत शामिल किए गए हैं। कोर डीएफओ के अधीन शामिल वन क्षेत्रों को बाघों के अनुकूल वातावरण बनाने के कार्य चल रहे है, लेकिन बूंदी व भीमलत के बीच का महत्वपूर्ण कालदां वन क्षेत्र ग्रासलैंड विकसित करने सहित अन्य ट्रेक आदि निर्माण के कार्यों में पिछड़ गया है।
दो उपवन संरक्षक के अधीन आने से पूरे 1501 वर्ग किलोमीटर के टाइगर रिजर्व क्षेत्र को बाघों के अनुकूल बनाने का काम बाधित हो रहा है। टाइगर रिजर्व के लिए महत्वपूर्ण फील्ड डायरेक्टर का पद भी बूंदी की जगह कोटा में होने से मॉनिटरिंग सही नहीं हो पाती है। वन्यजीव प्रेमियों ने पूर्व में भी सपूर्ण टाइगर रिजर्व का दायित्व एक उपवन संरक्षक को देने तथा फील्ड डाइरेक्टर का पद बूंदी में सृजित करने की मांग उठा चुके है, लेकिन अभी तक उसपर अमल नहीं हुआ है। कालदां वन क्षेत्र दुर्गम पहाड़ी इलाका होने व पानी की उपलब्धता के चलते टाइगर के लिए बेहतर जंगल है, जिसे विकसित करने की आवश्यकता है।
दो साल से रेंज ऑफिस बनकर तैयार, लेकिन स्टाफ नहीं लगा
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में दो नए रेंज ऑफिस स्वीकृत हुए थे, जिनमें बसोली व भोपातपुरा शामिल है। भोपातपुरा रेंज उपवन संरक्षक कोर के अधीन आता है, जिसका भवन बनकर तैयार है तथा रेंजर सहित सपूर्ण स्टाफ भी लग गया है। दूसरी ओर वन मंडल बूंदी के अधीन आने वाले बफर जोन में स्वीकृत बसोली का रेंज भवन दो साल से वीरान पड़ा है। यहां अभी तक स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इस रेंज ऑफिस के क्षेत्र में बसोली, डाटुंदा व खिन्या के सघन जंगल शामिल है, जिसमें कालदां का क्षेत्र भी आता है। रेंज ऑफिस में स्टाफ की नियुक्ति नहीं होने से पूरे जंगल की सुरक्षा हिंडोली रेंज के अधीन करनी पड़ती है।
टाइगर रिजर्व में मौजूद है आधा दर्जन टाइगर
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में वर्तमान में तीन मादा, दो नर व एक शावक सहित कुल 6 बाघों की मौजूदगी है, जिनमें से एक सब एडल्ट नर शावक शॉट एनक्लोजर में है, जबकि मृत बाघिन आरवीटी 2 की दो मादा शावक टेरिटरी बना चुकी है। विभाग के पास बफर जोन में बघेरों की वास्तविक संख्या की भी जानकारी नहीं है।

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