शहर के पर्यटन से रूबरू होने के बाद विदेशी सैलानी अब प्राकृतिक संपदा से भरपूर ग्रामीण संस्कृति की ओर देख रहे है। अब तक विदेशी सैलानी शहर के निकट पोट्री गांव ठीकरदा में जाकर मिट्टी के बर्तन बनाना गांव का खान पान रहन सहन से प्रभावित हो रहे थे । अब पर्यटक अब गावों में होने वाली फसलों व ऑर्गेनिक सब्जियों की जानकारी ले रहे है। ऐसा ही एक ग्रुप फ्रांस से आया जो ग्रामीण क्षेत्र की स्वच्छ हवा , खेतो में लहलहाती फसले, ताजा सब्जियां व प्राकृतिक नजारों को देख मंत्रमुग्ध हो गया।
टूरिस्ट गाइड संदीप शर्मा ने बताया कि फ्रांस के ग्रुप में शामिल सभी 40 सदस्यों ने ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होने की इच्छा जताई। गाइड पर्यटक दल को लेकर बूंदी से 9 किलोमीटर फूलसागर रोड स्थित नेतराम के खेत पर पहुंचे, जहां पर पावणों ने खेतो से मटर तोड़कर खाई, वही खेतों में लगी प्याज, लहसुन , बैंगन व गोभी की सब्जी की जानकारी ली। किसान मोतीलाल ने सैलानियों को बताया कि किस तरह से देसी खाद से सब्जियां पैदा की जाती है।
इट्स अमेजिंग
विदेशी पावणे जैसे ही रमेश व सत्यनारायण सैनी के खेत पर पहुंचे तो वहां पर कौशल्या चूल्हे पर मक्का की रोटी बना रही थी। पास में बैठकर जेसी ने मक्का की रोटी बनाने की प्रक्रिया को बारीकी से देखा और खुद रोटी तवे पर सेककर बाथली की सब्जी से खाई तो मुहं से वाउ इट्स अमेजिंग वेरी गुड टेस्ट कहा। पर्यटकों ने अमरूद व गन्ने का भी भरपूर लुत्फ उठाया।
सकोरे में चाय का लुत्फ उठाया
खेत पर ही चूल्हे पर बनाई चाय जब मिट्टी के सकोरे में पी तो फ्रांस के एंथोनी ने कहा कि ग्रामीण लाइफ रहन सहन बहुत ही मजेदार है। नेचुरल हवा, ऑर्गेनिक सब्जियां खेतो में लहलहाती फसले, पेड़ो पर बैठे पक्षी बड़ा सुकून देते है। ऐसी लाइफ इंडिया में ही सभव है। ग्रुप में शामिल एवलीना, आर्याना, केरोलिना व लाया ने कहा की खेतो में बिताए ये पल हमेशा याद रहेंगे। पर्यटकों ने तीन घण्टे खेतों में रहकर सभी पल कैमरे में कैद किए।
पर्यटक ऐतिहासिक विरासत के साथ अब ग्रामीण संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे है। गांव में बनने वाले मिट्टी के बर्तन के साथ साथ खेतो में होने वाली फसलों, सब्जियों की भी जानकारी ले रहे है। साथ ही गांव के शुद्ध वातावरण में समय बिताना चाहते है। आने वाले समय मे ग्रामीण पर्यटन के लिए योजनाएं बननी चाहिए, जिससे शहर के साथ गांव भी विकसित होंगे।
प्रेम शंकर सैनी, सहायक पर्यटन अधिकारी, बूंदी