देश के इन 201 लोगों के पास 86 खरब की दौलत; थोड़ी कम हुई अदाणी-अंबानी की हैसियत
Billionaire Promoters: 2024 का साल भारतीय उद्योग जगत के लिए ऐतिहासिक रहा। देश में अरबपति प्रमोटर्स की संख्या रिकॉर्ड 201 तक पहुंच गई, जो 2023 के अंत में 157 थी और 2022 के अंत में 126 थी। आइए जानते है पूरी खबर।
Billionaire Promoters: 2024 का साल भारतीय उद्योग जगत के लिए ऐतिहासिक रहा है। देश में अरबपति प्रमोटर्स (Billionaire Promoters) की संख्या रिकॉर्ड 201 तक पहुंच गई, जो 2023 के अंत में 157 थी और 2022 के अंत में 126 थी। इस बढ़ोतरी ने भारतीय उद्योगपतियों की आर्थिक ताकत और उनके व्यवसायों की सफलता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है।
1 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंची संपत्ति (Billionaire Promoters)
इन अरबपति प्रमोटर्स (Billionaire Promoters) की कुल संपत्ति 2024 में पहली बार $1 ट्रिलियन के आंकड़े को पार कर गई। दिसंबर के अंत में यह आंकड़ा $1,023.9 बिलियन पर पहुंच गया, जो अब तक का सर्वाधिक है। यह उपलब्धि भारतीय अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
BSE कंपनियों का बढ़ता मार्केट कैप
भारत के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में सूचीबद्ध सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण भी 2024 में तेजी से बढ़ा है। दिसंबर 2024 में यह $5,200 बिलियन पर था, जो 2023 के अंत में $4,374 बिलियन से 18.9% अधिक था। यह विकास आर्थिक सुधार, विदेशी निवेश, और घरेलू निवेशकों के बढ़ते भरोसे का परिणाम है।
अदाणी-अंबानी की दौलत में गिरावट
जहां अरबपति क्लब में नए नाम शामिल हुए हैं, वहीं कुछ प्रमुख बिजनेस टायकून की संपत्ति में गिरावट देखी गई। गौतम अदाणी और मुकेश अंबानी की कुल दौलत में थोड़ी कमी आई है। अदाणी समूह की कंपनियों पर हालिया आलोचनाओं और बाजार में अस्थिरता ने उनकी संपत्ति को प्रभावित किया है। वहीं, अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज पर भी दबाव रहा।
आर्थिक सुधार और उद्यमिता का प्रभाव
विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक सुधारों, प्राइवेट सेक्टर की मजबूती, और उद्यमिता के प्रति बढ़ती जागरूकता ने इस बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाई। सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक सुधारों और कारोबार में पारदर्शिता लाने के प्रयासों से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
अंतरास्ट्रीय मार्केट में भारतीय उद्योग का प्रभाव
भारत के अरबपति प्रमोटर्स (Billionaire Promoters) का यह बढ़ता क्लब न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभावशाली बनता जा रहा है। कई भारतीय कंपनियां अब वैश्विक बाजारों में अपना दबदबा बना रही हैं, जिससे देश की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो रही है।
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि, इस उपलब्धि के बावजूद चुनौतियां भी बनी हुई हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव, और बढ़ती ब्याज दरें भारतीय बाजार के लिए संभावित खतरे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए सतर्कता और दूरदर्शिता आवश्यक होगी।
2025 में इस क्लब के और विस्तार की उम्मीद की जा रही है। सरकार की नीतियों और उद्यमियों के नवाचार से भारतीय उद्योग में और अधिक संभावनाएं उभरेंगी। निवेशकों और कारोबारियों (Billionaire Promoters) के लिए यह सकारात्मक संकेत है।
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