राघव चड्ढा का सवाल (New Income Tax Slab)
राघव चड्ढा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की नई कर व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर कोई व्यक्ति 13 लाख रुपये की सालाना आय अर्जित (New Income Tax) करता है, तो क्या उसे पूरी 13 लाख रुपये की आय पर कर देना होगा? अगर ऐसा है, तो यह नीति करदाताओं के साथ अन्यायपूर्ण होगी। उन्होंने आगे कहा कि यदि 12 लाख रुपये की आय तक कर में पूरी छूट दी जा रही है, तो क्या 12 लाख से 1 रुपये अधिक कमाने वाले लोगों पर अचानक कर लागू हो जाएगा? यह स्थिति उन मध्यमवर्गीय करदाताओं के लिए चिंता का विषय है, जो इस स्लैब में आते हैं।वित्त मंत्री की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट (New Income Tax) भाषण में कहा था कि नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। इसके अलावा, वेतनभोगी करदाताओं के लिए 75,000 रुपये का मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) भी मिलेगा, जिससे प्रभावी कर-मुक्त आय सीमा 12.75 लाख रुपये तक हो जाती है।नई कर स्लैब
बजट 2025 के अनुसार, नई कर व्यवस्था में निम्नलिखित कर स्लैब निर्धारित किए गए हैं:- 0 से 4 लाख रुपये तक – कोई कर नहीं
- 4 से 8 लाख रुपये तक – 5% कर
- 8 से 12 लाख रुपये तक – 10% कर
- 12 से 16 लाख रुपये तक – 15% कर
- 16 से 20 लाख रुपये तक – 20% कर
- 20 से 24 लाख रुपये तक – 25% कर
- 24 लाख रुपये से अधिक – 30% कर
रिबेट का प्रावधान
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि धारा 87A के तहत 12 लाख रुपये तक की आय (New Income Tax) वाले करदाताओं को कर में पूरी छूट दी जाएगी, जिससे उनकी कर देयता शून्य हो जाएगी। हालांकि, यदि किसी व्यक्ति की आय 12 लाख रुपये से अधिक है, तो उसे पूरी आय पर कर देना होगा और रिबेट लागू नहीं होगी।राघव चड्ढा की चिंता
राघव चड्ढा का मुख्य तर्क यह है कि यदि 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं है, तो 12 लाख रुपये से केवल 1 रुपये अधिक कमाने वाले करदाताओं को पूरी तरह से कर दायित्व में डालना अनुचित होगा। उनका कहना है कि यह व्यवस्था करदाताओं (New Income Tax) को कृत्रिम रूप से अपनी आय को 12 लाख रुपये के भीतर सीमित करने के लिए प्रेरित कर सकती है।सरकार का पक्ष
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सवाल पर स्पष्ट किया कि नई कर व्यवस्था (New Income Tax) का उद्देश्य मध्यम वर्ग को कर राहत देना है और कर प्रणाली को सरल बनाना है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर विस्तृत स्पष्टीकरण जल्द ही जारी किया जाएगा।मार्जिनल रिलीफ से टैक्स में राहत
अगर किसी व्यक्ति की कर योग्य आय 12.1 लाख रुपये है, तो बिना मार्जिनल रिलीफ के उसे 61,500 रुपये टैक्स देना होगा। लेकिन मार्जिनल रिलीफ के तहत यह राशि घटकर मात्र 10,000 रुपये रह जाएगी। यानी, टैक्सपेयर को कुल 51,500 रुपये की बचत होगी।क्या है मार्जिनल रिलीफ?
मार्जिनल रिलीफ एक विशेष प्रावधान है, जो उन करदाताओं को राहत प्रदान करता है, जिनकी आय मामूली रूप से निर्धारित सीमा से अधिक होती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अतिरिक्त आय (New Income Tax) पर देय कर की राशि, आय में हुई मामूली बढ़ोतरी से अधिक न हो। अगर किसी व्यक्ति की टैक्सेबल (New Income Tax) इनकम 12 लाख रुपये से थोड़ी अधिक है, तो वह मार्जिनल टैक्स (New Income Tax) रिलीफ का दावा कर सकता है। यह राहत नई कर व्यवस्था के तहत सभी कटौतियों के बाद भी ली जा सकती है। हालांकि, जिनकी आय 12.75 लाख रुपये से अधिक है, वे इस लाभ के पात्र नहीं होंगे।इस उदाहरण के माध्यम से समझें
अगर किसी व्यक्ति की कुल कर योग्य आय 14 लाख रुपये है, तो नई कर व्यवस्था के तहत:₹75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। ₹1 लाख की कटौती NPS योगदान (धारा 80CCD(2)) के तहत उपलब्ध होती है। इन कटौतियों के बाद उसकी शुद्ध कर योग्य आय ₹12,25,000 रह जाती है। इस स्थिति में, चूंकि आय 12 लाख रुपये से ₹25,000 अधिक है, इसलिए वह धारा 87A के तहत छूट के पात्र नहीं होंगे। ऐसे में कुल टैक्स देनदारी ₹63,750 (सेस को छोड़कर) होगी। लेकिन मार्जिनल रिलीफ के तहत टैक्स घटकर मात्र ₹25,000 रह जाएगा। 4% सेस जोड़ने के बाद अंतिम कर देनदारी ₹26,000 (सेस सहित) होगी। इसी प्रकार, अगर किसी की कर योग्य आय 12.1 लाख रुपये है, तो बिना मार्जिनल रिलीफ के टैक्स ₹61,500 बनता है, जबकि इस रिलीफ के बाद उसे सिर्फ ₹10,000 टैक्स देना होगा, जिससे ₹51,500 की बचत होगी।