‘PM Modi के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था सुधारी’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के समय में हुए आर्थिक विकास पर बोलते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘भारत 2014 में 10 वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी थी। इसके साथ ही देश सबसे 5 सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था। हमारे देश विकास के लिए उस समय विदेशी निवेश पर अधिक निर्भर था। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने आगे कहा कि PM Modi के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया है। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। देश जल्द ही 4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, “मुझे लगता है कि वैश्विक ऊर्जा की स्थिति में सुधार होगा। बाजार में अधिक तेल और गैस आएगी और उम्मीद है कि इससे कीमतों में कमी लाने में मदद मिलेगी। जब ऊर्जा कम कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है, तो इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।”
पेट्रोल की कीमतों में आ सकती है कमी
लंबे समय से आम लोग पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमत कम होने का इंतजर कर रहे हैं। पेट्रोल-डीजल और गैस के दाम कम हो सकते हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आगे कहा कि कच्चे तेल (Crude Oil) की कोई कमी नहीं है और मौजूदा समय में 40 देशों से आपूर्ति भारत को मिल रही है। बता दें कि पहले इनकी संख्या 27 थी। हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘अगर और देश भी इसमें जुड़ना चाहते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे। इससे तेल की कीमतों को कम रखने में मदद मिलेगी। पेट्रोलियम की कीमतें बीते तीन वर्षों में कम हुई हैं। पेट्रोल की कीमतों में -0.67 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। पेट्रोलियम की कीमत में गिरावट से सरकार को कोई वित्तीय फायदा नहीं हुआ है। बल्कि सरकार ने तेल कंपनियों को 22,000 करोड़ रुपये की राहत दी है।’ पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि डोनाल्ट ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने ऑफिशियल तौर पर कहा है कि वह इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतें कम करना चाहते हैं। इससे भारत में भी फ्यूल के प्राइस पर असर पड़ेगा। क्या कहती है फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट ?
फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग तीन से 4 फीसदी बढ़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के रिफाइनरी मार्जिन FY 25-26 में गिर सकते हैं। इसकी वजह अधिक आपूर्ति और कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव के होने वाले फायदे का कम होना है। हालांकि, डीजल की कीमतों में 1.15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।