हिंदू सेना ने अजमेर कलक्टर को पत्र लिखते हुए कहा कि ‘अजमेर दरगाह हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है। साक्ष्यों के अनुसार, दरगाह परिसर के नीचे एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है, जहां सदियों से भगवान शिव की पूजा-अर्चना होती रही है। पूजा अर्चना करने वाले ब्राह्मणों को ‘घड़ियाली’ कहा जाता था। षड्यंत्र के तहत वहां भगवान शिव का पूजा-पाठ बंद कर दिया गया। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की प्रतिमा दीवार पर अंकित है, जो आज भी विद्यमान है’।
26 फरवरी को है महाशिवरात्रि
पत्र में आगे लिखा कि ‘महाशिवरात्रि का पर्व साल में एक बार आता इस पर्व को करोड़ हिंदू प्रमुखता से मानते है। इस दिन भगवान शिव की पूजा पाठ और आराधना की जाती है। यह महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस बार 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है।
‘धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे’
हिंदू सेना कलक्टर से अनुरोध कर कहा कि ‘हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, महाशिवरात्रि के दिन प्राचीन संकट मोचन महादेव शिव मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने की अनुमति प्रदान करें। आपकी स्वीकृति के लिए हिन्दू सनातनी सदैव आभारी रहेंगे’।
विष्णु गुप्ता ने ही कोर्ट में दायर की थी याचिका
बता दें कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए अजमेर की पश्चिम कोर्ट संख्या याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए तीन पक्षकारों को नोटिस दिए थे। हालांकि इन तीनों पक्षकारों की ओर से नोटिस का जवाब कोर्ट में पेश नहीं किया गया है। वहीं, दरगाह कमेटी की ओर से प्रकरण को खारिज करने के लिए भी अर्जी लगाई गई। जिसका जवाब परिवादी विष्णु गुप्ता कोर्ट में दे चुके है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 4 मार्च को होनी है।