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क्या होता है इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड? ध्यान रखें पॉलिसी में छुपे जोखिम

Insurance waiting Period: टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों में आमतौर पर कोई वेटिंग पीरियड नहीं होता। पॉलिसी जारी होते ही कवर शुरू हो जाता है।

भारतMay 12, 2025 / 10:50 am

Devika Chatraj

Policy Issuance Delay: नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने एक हालिया मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि होम लोन से जुड़े बीमा कवर में दावा खारिज करना उचित था, क्योंकि बीमित व्यक्ति की मृत्यु वेटिंग पीरियड के दौरान हुई थी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड का क्या महत्व है?

शुरुआती वेटिंग पीरियड क्या है?

कुछ लाइफ और अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में एक शुरुआती इंतजार अवधि होती है, जबकि कुछ में नहीं। टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों में आमतौर पर कोई वेटिंग पीरियड नहीं होता। पॉलिसी जारी होते ही कवर शुरू हो जाता है। यानी अगर बीमा लेने वाले की प्राकृतिक या एक्सीडेंटल मौत हो जाती है, तो नॉमिनी को डेथ बेनिफिट मिलता है। हालांकि, ज्यादातर टर्म पॉलिसियों में अगर बीमाधारक ने पहले साल में आत्महत्या की, तो क्लेम नहीं मिलता है।

कितनी है वेटिंग अवधि?

इरडा (IRDA) की ओर से शुरू किया गया स्टैंडर्ड टर्म प्लान ‘सरल जीवन बीमा’ 45 दिन का वेटिंग पीरियड रखता है। इस दौरान सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ पर ही क्लेम मिलता है। कई होम लोन प्रोटेक्शन प्लान्स में भी 45 दिन की वेटिंग अवधि है, जिसमें सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ को कवर किया जाता है। वहीं, अगर पॉलिसी में कोई राइडर (अतिरिक्त कवर) जोड़ा गया है, तो उसमें भी अलग वेटिंग पीरियड हो सकता है।

वेटिंग पीरियड क्यों है जरूरी?

पॉलिसी में शुरुआती वेटिंग पीरियड इसीलिए जोड़ा जाता है ताकि कोई व्यक्ति जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाकर अपने परिवार को फायदा न पहुंचा सके। कई बार गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोग भी पॉलिसी लेकर क्लेम का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।

बीमा कवर कब से शुरू होता है?

केवल प्रीमियम भरने या बीमा फॉर्म जमा करने से जोखिम कवर शुरू नहीं होता है। यह तब शुरू होता है जब पॉलिसी जारी हो जाए या जब ‘जोखिम शुरू होने की तिथि’ स्पष्ट रूप से बताई गई हो। कई पॉलिसियों में पॉलिसी जारी होने के बाद भी प्राकृतिक मृत्यु जैसे मामलों में पूरा कवर तभी मिलता है जब वेटिंग पीरियड पूरी हो जाती है।

बीमा पॉलिसी जारी करने की समयसीमा

बीमा कंपनियों को जीवन बीमा प्रस्ताव 15 दिन के भीतर प्रोसेस करना होता है। इस समयसीमा से ज्यादा देरी तभी जायज मानी जाएगी, जब उसका ठोस कारण हो और वह बीमाधारक को बताया जाए। यदि किसी दस्तावेज या जानकारी की कमी हो, तो बीमाकर्ता इस अवधि को रोक सकता है जब तक जरूरी दस्तावेज मिल न जाएं।

लोन डिस्बर्सल के साथ कवर का तालमेल

अगर बीमा पॉलिसी किसी लोन से जुड़ी है, तो यह जरूरी है कि कवर लोन की रकम मिलने से पहले या उसी दिन से शुरू हो। इसके लिए बैंक और बीमा कंपनी के साथ समन्वय बनाना जरूरी है ताकि कवर में कोई गैप न रहे। ग्राहक होम लोन प्रोटेक्शन प्लान की जगह टर्म प्लान भी ले सकते हैं, बशर्ते उसकी अवधि लोन की भुगतान अवधि के बराबर हो।

पॉलिसी जारी होने में देरी पर क्या करें?

अगर सभी जरूरी दस्तावेज और प्रीमियम जमा करने के बाद भी पॉलिसी जारी होने में देरी हो, तो बीमा कंपनी के शिकायत अधिकारी से संपर्क करें। अगर जवाब संतोषजनक न हो, तो इरडा के इंटीग्रेटेड ग्रिवांस मैनेजमेंट सिस्टम (IGMS) के जरिए शिकायत दर्ज करें। इसके बाद भी समाधान न मिले तो इंश्योरेंस ओम्बड्समैन या उपभोक्ता फोरम का रुख कर सकते हैं।

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