scriptSGPC : धामी के इस्तीफे पर चली लंबी चर्चा को, सेवाएं जारी रखने की अपील | The committee kept the long discussion on Dhami's resignation pending, appealed to continue the services | Patrika News
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SGPC : धामी के इस्तीफे पर चली लंबी चर्चा को, सेवाएं जारी रखने की अपील

SGPC : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के इस्तीफे पर विचार करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की विशेष बैठक में इसे फिलहाल लंबित रखा गया है।

चंडीगढ़ पंजाबFeb 22, 2025 / 01:06 am

MAGAN DARMOLA

harjinder singh dhami
SGPC : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के इस्तीफे पर विचार करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की विशेष बैठक में इसे फिलहाल लंबित रखा गया है। शिरोमणि समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क के नेतृत्व में हुई अंतरिम कमेटी की बैठक में इस्तीफे पर लंबी चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि सिख संगठन को अभी भी एडवोकेट धामी की सेवाओं की आवश्यकता है, इसलिए उन्हें अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए कहा जाए।

धामी के नेतृत्व में संगठन ने की है प्रगति

बैठक के बाद जानकारी देते हुए शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव कुलवंत सिंह मनन ने बताया कि सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि एडवोकेट धामी का इस्तीफा लंबित रखते हुए उनसे बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि एडवोकेट धामी ने कठिन परिस्थितियों में एसजीपीसी का बेहतर नेतृत्व किया है और इस दौरान संगठन ने प्रगति की है। इसलिए अंतरिम कमेटी ने उनकी सेवाओं की सराहना करते हुए यह महसूस किया है कि जिन कारणों से एडवोकेट धामी ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया है, वह शिरोमणि कमेटी के प्रशासनिक अधिकारों का मामला है, क्योंकि अंतरिम कमेटी को सिंह साहिबानों समेत किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की जांच करके फैसला लेने का अधिकार है। तदनुसार, ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सेवानिवृत्त करने का निर्णय अकेले अध्यक्ष एडवोकेट धामी द्वारा नहीं, बल्कि पूरी आंतरिक समिति द्वारा लिया गया था। इसलिए उनके इस्तीफे को आगे विचार के लिए लंबित रखा गया है और यह भी निर्णय लिया गया है कि आंतरिक समिति एडवोकेट धामी से मुलाकात करेगी और उनसे इस्तीफा वापस लेने की अपील करेगी।
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शिरोमणि कमेटी और सिंह साहिबानों के अधिकार क्षेत्र अलग-अलग

इस बीच, शिरोमणि कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह विर्क ने कहा कि शिरोमणि कमेटी और सिंह साहिबानों के अधिकार क्षेत्र अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सभी कानूनी, वित्तीय, प्रशासनिक और संवैधानिक शक्तियां प्रदान की गई हैं, साथ ही अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सेवा नियम बनाने का पूरा अधिकार भी दिया गया है। सेवा नियमों के अन्तर्गत किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा की गई किसी गलती, अपराध या लापरवाही के लिए समिति में निहित शक्तियों के अन्तर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाती है। उन्होंने कहा कि सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी, ग्रंथियों और संस्था का प्रबंधन करने वाले तख्त साहिबों के जत्थेदारों की नियुक्ति और सेवानिवृत्ति के निर्णय की जिम्मेदारी भी सिख गुरुद्वारा अधिनियम के माध्यम से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के पास है। उन्होंने कहा कि इसलिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकार क्षेत्र में जांच और कार्रवाई करने का अधिकार है, जिस पर अनावश्यक रूप से विवाद किया जा रहा है।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई

विर्क ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए केवल मुख्य अधिवक्ता धामी जिम्मेदार नहीं थे, बल्कि जांच कमेटी ने सेवा नियमों के तहत एक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की थी।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच के तथ्य पेश करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने निजी हितों की रक्षा के लिए तख्त श्री दमदमा साहिब की मर्यादा को भंग किया तथा गुरबाणी कीर्तन को रोककर तथा पंज प्यारों को जबरन अपने सामने खड़ा करके घोर अपमान किया। उन्होंने अपने स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार आरोपों को समझाने का प्रयास किया तथा जांच समिति द्वारा बार-बार संपर्क किये जाने के बाद भी सहयोग नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा मृतक के आनंद कारज की अरदास करना भी तख्त साहिब के जत्थेदार का अपमान है।
वहीं, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार रहते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अनादर और बेअदबी की घटनाओं के बारे में गंभीर शिकायतें मिलने और तथ्य सामने आने के बाद भी अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया और उसे निभाने में विफल रहे। ऐसे में शिरोमणि कमेटी द्वारा उनके खिलाफ सेवा नियमों के तहत की गई कार्रवाई सही है और यह कहना कि यह शिरोमणि कमेटी के अधिकारों के खिलाफ है, पूरी तरह से निराधार है।

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