scriptTAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021 अयरम अनालम मयूरम अगादू… – मयिलादुत्तुरै विकास से कोसों दूर | TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021: MAYILADUTHURAI | Patrika News
चेन्नई

TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021 अयरम अनालम मयूरम अगादू… – मयिलादुत्तुरै विकास से कोसों दूर

TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021
अयरम अनालम मयूरम अगादू…- मयिलादुत्तुरै (MAYILADUTHURAI) नया जिला तो बना, लेकिन विकास से अब भी कोसों दूर- कभी रेशम की नौ गज की साड़ियों के लिए रहा मशहूर- अधिकांश किसान, चावल एवं गन्ने की खेती बहुतायत में

चेन्नईMar 16, 2021 / 06:33 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021: MAYILADUTHURAI

TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021: MAYILADUTHURAI

मयिलादुत्तुरै (तमिलनाडु). अयरम अनालम मयूरम अगादू। यह एक पुरानी कहावत है। इसका मतलब यह है कि हज़ारों खूबियों वाले हज़ार स्थान होंगे लेकिन मयूरम (मयिलादुत्तुरै) की कोई तुलना नहीं। मयूरम में सांस्कृतिक विरासत कृषि और आर्थिक प्रगति को समर्थन देने और बनाए रखने के लिए आज भी इस कहावत का भरपूर प्रयोग किया जाता है। उपजाऊ भूमि होने के कारण कृषि इस क्षेत्र की मुख्य गतिविधि है। चावल और गन्ना इसके दो मुख्य उत्पाद हैं। मयिलादुत्तुरै (MAYILADUTHURAI) में दो चीनी मिलें स्थित हैं। प्राचीन दिनों में कूरायनाडू (मायावरम का उपनगर) रेशम की नौ गज की साड़ियों की बुनाई के लिए प्रसिद्ध था। अभी भी तमिल लोग कूरेप पट्टू (कूरई रेशम) और कूरेप पुड़वई (साड़ी) शब्द का उपयोग कर रहे हैं। मयिलादुत्तुरै नटियांजलि त्योहार के लिए भी प्रसिद्ध है। चिदम्बरम के नटराज मंदिर की नटियांजलि के समान मयिलादुत्तुरै में एक और नटियांजलि है जिसे मयूरा नटियांजलि कहा जाता है। मयूरा नटियांजलि महाशिवरात्रि के दौरान बाहरी मयूरनाथर मंदिर में हर साल मनाया जाता है। दुनिया भर से भरतनाटयम नर्तक इस त्योहार में भाग लेते हैं। यह मयूरा नटियांजलि मयिलादुत्तुरै और आसपास के लोगों के समर्थन और प्रोत्साहन से सांस्कृतिक कल्याण ट्रस्ट सप्तस्वरागल नामक ट्रस्ट द्वारा आयोजित की जाती है। मयिलादुत्तुरै अपने सोने के गहनों के व्यापार और विवाह-हॉल के लिए प्रसिद्ध है। शहर में लगभग एक सौ विवाह हॉल हैं। ये सस्ते एवं आसानी से उपलब्ध होने के चलते शादी समारोह के लिए लोग मयिलादुत्तुरै में आते हैं।
नागपट्टिनम को विभाजित कर बनाया जिला
पिछले साल ही नागपट्टिनम जिले को विभाजित कर मयिलादुत्तुरे को नया जिला बनाया गया। यह तमिलनाडु का 38 वां जिला है। मयिलादुत्तुरै को नया जिला बनाने की मांग लम्बे समय से की जा रही थी। इससे पहले वेलूर को तीन भागों में विभाजित कर तिरुपत्तुर व रानीपेट नए जिले बनाए गए थे। इसी तरह कांचीपुरम व तिरुनेलवेली जिलों से चेंगलपेट व तेनकासी नए जिले गठित किए गए। लोगों का कहना है कि क्षेत्र में विकास के कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुए। एन्टी इन्कमबैंसी के नुकसान भी सत्ताधारी दल को झेलना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों की कमी के चलते तंजावुर की तरफ रूख
प्रसिद्ध मयूरानाथस्वामी का मंदिर दर्शन के लिए देशभर से लोग आते हैं। कावेरी नदी के मुहाने पर बसे शहर में पानी की किल्लत भी आम है। इलाके में समस्याएं खूब हैं लेकिन समाधान के लिए अक्सर राजनीतिक दल कन्नी काटते रहे। मयिलादुत्तुरे का बस स्टैण्ड भी अब छोटा पड़ने लगा है। रिंग रोड परियोजना के क्रियान्वयन में देरी का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। मुख्यालय पर सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी की शिकायत भी अक्सर लोग करते हैं। ऐसे में चिकित्सा सुविधा के लिए लोगों को तंजावुर जाना पड़ता है।
चावल मिलें खूब लेकिन अन्य उद्योंगों की खल रही कमी
सिरकाली 1991 तक तंजावुर जिले का एक हिस्सा था और बाद में नागपट्टिनम जिले का हिस्सा रहा। सिरकाली कावेरी डेल्टा क्षेत्र का हिस्सा है और कृषि प्रमुख व्यवसाय है। प्राचीन काल में इस शहर के बारह अलग-अलग नाम थे, जिनमें ब्रह्मपुरम, वेनुपुरम, थोनीपुरम, काज़ुमलम, पुगली, सिरकाजीश्वरम् और श्री काली शामिल हैं। सिरकाली का सबसे पहला उल्लेख चोल राजा कोकेंगन्नन के इतिहास में संगम युग में मिलता है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने यहां खूनी लड़ाई जीती थी। यहां की मुख्य फसल धान चावल है। कई चावल मिलों को छोड़कर शहर के भीतर कोई बड़ा उद्योग नहीं है।
मंदिरों का शहर कुंभकोणम
कुंभकोणम शहर कावेरी और अरसलार नदी के तटों पर स्थित है, यहां का जीवन अत्यंत सुखद है। मंदिरों के शहर के नाम से पहचान रखने वाले इस शहर में कोई दो सौ के आसपास मंदिर हैं, जिनमें कुंभेश्वर मंदिर सबसे प्रमुख है। भगवान शिव को समर्पित और 7 वीं शताब्दी में बना यह मंदिर इस क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय महामहाम समारोह के दौरान होता है। यहां का एक और मुख्य आकर्षण नायक सम्राट द्वारा बनवाया गया सारंगापानी मंदिर है, जिसमें 12 मंजिल है। 16 वीं शताब्दी में शहर के शासक रघुनाथ नायक ने रामास्वामी मंदिर की दीवारों पर रामायण के दृश्य चित्रित करवाए थे। कुंभकोणम शहर संसार और धरती का सृजन करने वाले ब्रह्मा को समर्पित मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया में भगवान ब्रह्मा के बहुत कम मंदिर हैं और कुंभकोणम उनमें से एक है।
पर्यटन की विपुल संभावना के बावजूद राजनेता रहे उदासीन
पूम्पुहार में पर्यटन की विपुल संभावना है लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। हर बार चुनाव के वक्त दोनों प्रमुख द्रविड दल लोकलुभावन वादे करते हैं लेकिन बाद में सब भुला दिए जाते हैं। तमिलनाडु में एक विलुप्त चोलकालिक बंदरगाह शहर पूम्पुहार का डिजिटल रूप से पुनर्निर्माण के लिए प्रोजेक्ट डिजिटल पूम्पुहार प्रारंभ किया जाएगा। यह पुनर्निर्माण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक कंसोर्टियम द्वारा डिजिटल रूप से किया जाएगा। पूम्पुहार परियोजना के तहत इस प्राचीन शहर के इतिहास का पता लगाने के लिये 13 शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों का एक नेटवर्क स्थापित किया है। पूम्पुहर का पुनर्निर्माण भारतीय डिजिटल विरासत पहल का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत एक डिजिटल हंपी नामक प्रदर्शनी वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित की जा रही है। भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रहों द्वारा किये गए शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि इस शहर की स्थापना लगभग 15,000 साल पहले वर्तमान शहर से लगभग 30 किमी़ दूर कावेरी के डेल्टा में हुई थी। लगभग 3,000 वर्ष पहले कावेरी नदी के मुहाने पर वर्तमान स्थान पर स्थापित हुआ। यह शहर समुद्र जलस्तर में निरंतर वृद्धि और डेल्टा के जलमग्न होने के कारण कई परिवर्तनों के बाद अपनी वर्तमान स्थिति पर स्थापित हुआ।
वन्नियार समुदाय की मजबूत उपस्थिति
मयिलादुत्तुरै लोकसभा क्षेत्र के अधीन आने वाले विधानसभा क्षेत्र मयिलादुत्तुरै व तंजावुर जिले में आते हैं। मौजूदा समय में तीन सीटों पर एआईएडीएमके विधायक, दो पर डीएमके तथा एक सीट रिक्त है। अक्सर विधानसभा में डीएमके व एआईएडीएमके के उम्मीदवार ही विजयी होते रहे हैं। इलाके में वन्नियार समुदाय की मजबूत उपस्थिति है। हालांकि वे कांग्रेस के समर्थक अधिक रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से उनका रुझान भी क्षेत्रीय दलों की तरफ बढ़ा है।
अबिरामी देवी को समर्पित मंदिर
किंवदंतियों का कहना है कि एक शाप के कारण देवी पार्वती ने मयूरम में मोर के रूप में जन्म लिया और मयूरनाथर रूपी भगवान शिव की पूजा की। मयूरम का संस्कृत में अर्थ मोर है और बाद में इसका तमिल भाषा में मयिलादुत्तुरै के रूप में अनुवाद किया गया। मयिलादुत्तुरै महांगल (मयिलादुत्तुरै के संत) पुस्तक के अनुसार अनेक संत मयिलादुत्तुरै के आसपास रहे और अंतिम शांति (समाधि) प्राप्त की। कई सिद्धार भी यहां रहे हैं। आज भी यहां मयिलादुत्तुरै के बाहरी पश्चिमी इलाके में एक सिद्धारकाडू (इसका मतलब है संतों का वन) नामक गांव है। किवदंती के अनुसार यह थरुकवानम आई का हिस्सा था। वैसे भी मयिलादुत्तुरै तीन अलग शब्दों का एक संयोजन है, माइल (का अर्थ मयूर है) आदुम (का नृत्य) तुरयी (का अर्थ है स्थान)। कुल मिलाकर मयिलादुत्तुरै का मतलब है मयूर नृत्य का स्थान। शहर के आसपास नवग्रह मंदिर स्थित हैं। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण वैथीश्वरनकोइल है। मंदिर परिसर कई ज्योतिषियों का घर है जो नाड़ी ज्योतिदम तरीके से भाग्य बताते हैं। शहर में एक मेधा दक्षिणामूर्ति मंदिर भी है। अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों में शामिल हैं सुकरान मंदिर और तिरुकदावुर का मंदिर जो भगवान अमृतकादेश्वर और अबिरामी देवी को समर्पित है।
………………
TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021: MAYILADUTHURAI
मयिलादुत्तुरै (MAYILADUTHURAI) लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्र व मौजूदा विधायक
सिरकाली (एससी) – पी.वी. भारती (एआईएडीएमके)
मयिलादुत्तुरै – वी. राधाकृष्णन (एआईएडीएमके)
पूम्पुहार -एस. पावुनराज (एआईएडीएमके)
तिरुविदैमरुदुर (एससी) -डॉ. गोवि चेजियन (डीएमके)
कुंभकोणम- जी. अन्बलगन (डीएमके)
पापनासम- रिक्त सीट
……………………..

Hindi News / Chennai / TAMIL NADU ASSEMBLY ELECTIONS 2021 अयरम अनालम मयूरम अगादू… – मयिलादुत्तुरै विकास से कोसों दूर

ट्रेंडिंग वीडियो