डिजीटल होने से तेज होगी प्रक्रिया
इस पहल से किसानों को फसल बीमा, कृषि ऋण और अन्य लाभों के लिए दस्तावेज लेकर बैंक या सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। यूनिक आईडी के माध्यम से यह सब कुछ डिजिटल रूप से, सरल और तेज प्रक्रिया में हो सकेगा। इस आईडी के माध्यम से किसान का रिकार्ड स्वत: अपडेट होता रहेगा। उदाहरण के लिए, अगर किसान की जमीन के दस्तावेज़ों में कोई बदलाव होता है, तो फार्मर आईडी में भी वह स्वत: संशोधित हो जाएगा।
प्रदेश में टॉप 10 में शुमार है छतरपुर
छतरपुर जिले में यह अभियान कलेक्टर पार्थ जैसवाल के मार्गदर्शन में चलाया गया, जिनकी सतत निगरानी से जिले ने प्रदेश के टॉप-10 जिलों में अपनी जगह बनाई है। जिले में अब तक 85.84 प्रतिशत किसानों की यूनिक आईडी तैयार की जा चुकी है और बाकी का कार्य अंतिम चरण में है। फार्मर आईडी किसानों के लिए किसी डिजिटल क्रांति से कम नहीं है। अब उन्हें फसल बीमा, पीएम किसान योजना, सब्सिडी और लोन जैसी योजनाओं का लाभ बिना किसी अतिरिक्त दस्तावेज़ के सिर्फ आईडी के माध्यम से मिलेगा। इस व्यवस्था से गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की पूरी संभावना भी समाप्त हो जाएगी।
वेरिफिकेशन कार्य पूरा हुआ
फॉर्मर आईडी का निर्माण किसान के आधार नंबर, भूमि रिकॉर्ड और अन्य पहचान दस्तावेजों से समेकित रूप से किया गया है। इसके बनने से किसान का एक यूनिक प्रोफाइल तैयार हो जाता है, जिससे सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न कृषि योजनाओं तक किसान की सीधी पहुंच सुनिश्चित होती है। एसएलआर आदित्य सोनकिया के अनुसार, जिले में फार्मर आईडी पंजीकरण का वेरिफिकेशन कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है।
किसान भी हो जाएंगे डिजीटल
जिले के किसानों ने इस पहल का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम माना है। कृषि मंत्रालय की यह योजना केवल तकनीकी पहल नहीं, बल्कि किसानों के जीवन को सरल और योजनाओं के लाभ को पारदर्शी बनाने का एक व्यावहारिक माध्यम बन रही है। यूनिक फार्मर आईडी की इस पहल ने छतरपुर जिले को न सिर्फ प्रदेश में अग्रणी बनाया है, बल्कि यह साबित कर दिया है कि डिजिटल भारत की परिकल्पना अब किसानों के जीवन में भी उतर रही है।