अतिरिक्त प्रभार से चल रहा काम
जिन पंचायतों में सचिव नहीं हैं, वहां अन्य सचिवों को अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। मगर यह व्यवस्था अस्थायी और अव्यवस्थित साबित हो रही है। इनमें प्रमुख सचिवों की स्थिति इस प्रकार है।चेतराम यादव- अनगौर के सचिव, मामौन का अतिरिक्त प्रभार हरिनारायण पाठक- गुलाट और बकस्वाहा लखन पाठक- रगौली और डारागुवां कृष्ण दास पाठक- कसार और पाली जयप्रकाश नायक- बेरखेरी और पाटन भागबली दुबे- रजपुरा और अमरोनिया कपिल दुबे- डिलारी और बड़ागांव
वीरेंद्र गौतम-मझगुवाकलां और कुपी विजय पाठक-सुकवाहा और मतीपुरा संतोष यादव-नेगुवां और किशनगढ़ मंगूलाल कुशवाहा-गुलगंज और मझगुवांखुर्द ऋषभ चौरसिया- नयागांव और खैराकला चंदन सिंह- लहर और धरमपुरा मुन्नूलाल अहिरवार-खरयानी और पलकोहा
20 फीसदी पंचायतों में नहीं हैं रोजगार सहायक
बिजावर जनपद की लगभग 20 फीसदी पंचायतें रोजगार सहायकों से वंचित हैं। इस कारण मनरेगा, निर्माण कार्य, शौचालय निर्माण, आवास योजनाएं जैसी गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। वही ग्राम पंचायत बक्सोई में रोजगार सहायक राहुल राजपूत को सचिव का प्रभार सौंपा गया है।
कुछ सचिवों को मिला अपने गृह ग्राम का प्रभार
महेश गुप्ता को उनके गृह ग्राम नंदगायबहून में ही सचिव पद पर वर्षों से पदस्थ किया गया है। चेतराम यादव को भी उनके गृह ग्राम मामौन का प्रभार मिला हुआ है। वहीं कई अन्य सचिवों को कई किलोमीटर दूर की पंचायतों का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जिससे फील्ड विजिट और जनसुनवाई में समस्याएं आ रही हैं। निलंबन, अटैचमेंट, स्थानांतरण और सेवानिवृत्ति से घटा स्टाफ पंचायतों में कर्मचारियों की कमी का मुख्य कारण निलंबन, मृत्यु, स्थानांतरण और सेवानिवृत्ति है। निलंबित सचिव- गया प्रसाद दुबे, संध्या उपाध्याय, राज बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह
जनपद कार्यालय में अटैच- लक्ष्मी प्रसाद तिवारी, देवेंद्र यादव (लाखों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप) मृत सचिव- भवानी सिंह यादव, हरिशंकर शर्मा सेवानिवृत्त- शिव मोहन राजपूत, रामशरण पटेरिया, गिरिजा प्रसाद पांडे, जगन्नाथ वर्मा
स्थानांतरित सचिव- संतोष शुक्ला और मलखान सिंह गोंड (दूसरे जनपद पंचायत क्षेत्र में स्थानांतरित)
प्रशासनिक ढांचे में असंतुलन
जनपद पंचायत के अधिकारी तबादलों की समय सीमा तय होने के बावजूद सचिवों की पुनर्नियुक्ति या नवीन पदस्थापन की दिशा में सुस्ती बरत रहे हैं। पंचायतों में एक ही कर्मचारी के भरोसे दो-दो पंचायतों का संचालन किया जा रहा है, जिससे काम की गुणवत्ता और गांवों में जनसेवा प्रभावित हो रही है।
पत्रिका व्यू
बिजावर जनपद की यह स्थिति ग्रामीण शासन-प्रशासन की कमजोरी को उजागर करती है। शासन की योजनाएं, विकास कार्य, जनकल्याणकारी गतिविधियां ग्राम स्तर तक तभी प्रभावी होंगी, जब संचालन तंत्र मजबूत और कर्मियों से पूर्ण होगा। सचिवों की कमी, अतिरिक्त प्रभार, भ्रष्टाचार के आरोप और नियुक्तियों में अनियमितता, ये सब मिलकर पंचायत व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। जरूरत है कि शासन तत्काल नियुक्तियां करे, निलंबन और जांचों का तेजी से निपटान हो और स्थायी समाधान के रूप में नई भर्तियां की जाएं, ताकि ग्रामीण विकास को पटरी पर लाया जा सके। फोटो- सीएचपी 010625-74- जनपद पंचायत बिजावर