असामान्य लक्षण, लेकिन पहचान में देरी
मरीज को पिछले कुछ समय से बाएं स्तन क्षेत्र में सूजन और असहजता महसूस हो रही थी। शुरुआत में उन्होंने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराया, लेकिन कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। बाद में उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां डॉ. श्वेता गर्ग ने केस की गंभीरता को समझते हुए विस्तृत जांच की तो कैंसर का समय रहते पता चला।
पुरुषों में स्तन कैंसर: एक अनदेखा खतरा
भारत में हर साल लगभग 1.78 लाख स्तन कैंसर के मामले दर्ज होते हैं, जिनमें से एक या दो केस पुरुषों में सामने आते हैं। यही वजह है कि पुरुषों में इस बीमारी की पहचान अक्सर देर से होती है। इस मामले में भी लक्षण स्पष्ट थे, लेकिन मरीज ने उसे गंभीरता से नहीं लिया।
विशेषज्ञ की सूझबूझ से मिला समय पर निदान
डॉ. गर्ग ने सूजन की जांच करते हुए एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) जांच करवाई। रिपोर्ट में स्तन कैंसर की पुष्टि हुई। आमतौर पर पुरुषों में इस बीमारी की संभावना बहुत कम होती है, इसलिए इस प्रकार का निदान डॉक्टरों के लिए भी चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन समय रहते की गई जांच ने मरीज के लिए जीवनदायी साबित होने की उम्मीद जगाई है।
बीमारी का लिंग नहीं होता
यह केस यह स्पष्ट संदेश देता है कि स्तन कैंसर केवल महिलाओं की बीमारी नहीं है। पुरुषों में भी यह हो सकता है और इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है। मरीजों को चाहिए कि वे स्तन में किसी भी प्रकार की असामान्यता जैसे गांठ, सूजन या दर्द को हल्के में न लें और तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की जरूरत
डॉ. श्वेता गर्ग का यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर निदान की महत्ता को दर्शाता है। उन्होंने न सिर्फ मरीज को सही इलाज की राह पर लाया, बल्कि ग्रामीण समाज में भी यह संदेश फैलाया कि समय रहते बीमारी की पहचान और इलाज संभव है चाहे वह बीमारी कितनी भी दुर्लभ क्यों न हो।
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