scriptबरियारपुर बाई नहर की हालत बदतर, अरबों की सिंचाई परियोजना बन रही किसानों की चिंता का कारण | The condition of Bariyarpur Bai canal is worse, the irrigation project worth billions is becoming a cause of worry for the farmers | Patrika News
छतरपुर

बरियारपुर बाई नहर की हालत बदतर, अरबों की सिंचाई परियोजना बन रही किसानों की चिंता का कारण

घटिया निर्माण कार्य और रखरखाव के अभाव में अधिकांश स्थानों पर नहरें टूट चुकी हैं। फाल (जल नियंत्रण यंत्र) या तो पूरी तरह नदारद हैं या फिर अनुपयोगी हो चुके हैं। नहरों की मरम्मत वर्षों से नहीं हुई, जिससे इस बार खेतों तक पानी पहुंच पाना मुश्किल हो सकता है।

छतरपुरJun 02, 2025 / 11:04 am

Dharmendra Singh

cannal

टूटी फूटी नहर

बरियारपुर बाई नहर चंदला और सरवई क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है, आज खुद बदहाली की मार झेल रही है। 80 किलोमीटर लंबी इस नहर की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि इसके माध्यम से खेतों तक पानी पहुंचना अब असंभव-सा लग रहा है। अरबों रुपए की लागत से बनी यह सिंचाई परियोजना अब किसानों के लिए राहत की बजाय चिंता का कारण बनती जा रही है।

जगह-जगह टूटी नहरें, गायब फालें

बरियारपुर बाई नहर में कुल 50 किमी लिंक नहरें और 30 किमी की यूबीसी (अंडर ब्रांच कैनाल) बनाई गई थीं। लेकिन घटिया निर्माण कार्य और रखरखाव के अभाव में अधिकांश स्थानों पर नहरें टूट चुकी हैं। फाल (जल नियंत्रण यंत्र) या तो पूरी तरह नदारद हैं या फिर अनुपयोगी हो चुके हैं। नहरों की मरम्मत वर्षों से नहीं हुई, जिससे इस बार खेतों तक पानी पहुंच पाना मुश्किल हो सकता है।

किसानों की चिंता: सिंचाई के बदले वसूली, पर पानी नहीं

किसानों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की ओर से हर साल सिंचाई के नाम पर मनमानी राशि वसूली जाती है, लेकिन पानी बहुत ही सीमित क्षेत्र में पहुंच पाता है। रामसेवक पटेल, अनाड़ी रैकवार, दिलीप रजक, सुरेश अहिरवार सहित कई किसानों ने बताया कि विभाग के पास हर वर्ष मरम्मत के लिए बजट आता है, लेकिन यह राशि खर्च होने के बजाय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। नतीजा – नहर की हालत बदतर होती जा रही है और खेत सूखे रह जाते हैं।

23 जल संथाओं में से 9 में बेहद खराब स्थिति

बरियारपुर बाई नहर के अंतर्गत 23 जल संथाएं कार्यरत हैं, जिनमें से माधवपुर, बेरी, बकतौरा, गौहानी, सरवई क्रमांक-1, सरवई क्रमांक-2, महायाबा, मिश्रनपुरवा सहित 9 जल संथाएं ऐसी हैं जहां की हालत सबसे ज्यादा चिंताजनक है। इन क्षेत्रों में नहरें जमीनी सतह पर जगह-जगह फटी हुई हैं, जिससे न पानी पहुंचता है न दबाव बनता है। किसानों को डर है कि अगर समय रहते मरम्मत नहीं हुई, तो खरीफ और रबी दोनों फसलों पर भारी संकट आ जाएगा।

मरम्मत बजट की हो रही है बंदरबांट?

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सिंचाई विभाग को नहरों की मरम्मत के लिए प्रतिवर्ष बजट आवंटित होता है, लेकिन यह राशि कहां जाती है, इसका कोई हिसाब नहीं दिया जाता। कई वर्षों से न तो फालों की मरम्मत हुई, न सिल्ट की सफाई और न ही नहर की किनारों की मरम्मत कराई गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ऑन पेपर मरम्मत कार्य दिखाकर राशि की बंदरबांट हो रही है।

प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग

किसानों और ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि तत्काल एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की जाए, जो बरियारपुर बाई नहर की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करे और मरम्मत कार्यों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे। साथ ही नहरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्य को मानसून आने से पहले पूरा किया जाए, ताकि किसानों की फसलें बच सकें।

नहरें बनीं मुसीबत का कारण

जहां एक ओर यह नहर परियोजना किसानों को सिंचाई सुविधा देने के लिए बनाई गई थी, वहीं अब यह खुद किसानों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। नहरों में बहता गंदा और रुकता हुआ पानी, टूटी फालें और धंसी पटरी न केवल खेतों तक पानी पहुंचने से रोक रही हैं, बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही हैं।

पत्रिका व्यू

बरियारपुर बाई नहर जैसी करोड़ों की सिंचाई परियोजनाएं तब तक सार्थक नहीं हो सकतीं जब तक इनका रखरखाव पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ न किया जाए। किसानों की आजीविका सीधे इस जल संसाधन पर निर्भर है और समय रहते प्रशासन ने अगर ठोस कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में यह क्षेत्र सूखे और संकट की चपेट में आ सकता है।फोटो- सीएचपी

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