नवंबर में बनाई जाना थी आईडी
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा नवंबर माह में जिलों को बच्चों की अपार आईडी बनाने का निर्देश जारी किया गया था, और इसे नवंबर अंत तक पूर्ण करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन छतरपुर जिले में अब तक इस कार्य में मात्र 28 प्रतिशत ही प्रगति हो पाई है, जिससे यह जिला प्रदेश के 20 फिसड्डी जिलों में शामिल हो गया है। यह धीमी प्रगति जिले के शिक्षा विभाग के लिए चिंता का कारण बनी हुई है, क्योंकि अब तक पूरे जिले में केवल 1 लाख बच्चों की अपार आईडी बनाई जा सकी है, जबकि जिले में नर्सरी से लेकर कक्षा 12वीं तक 4 लाख से अधिक छात्र हैं, जिनकी अपार आईडी बननी है।
प्राइवेट स्कूलों में स्थिति और भी खराब
प्राइवेट स्कूलों में स्थिति और भी अधिक गंभीर है, जहां अधिकांश स्कूलों में अब तक यह काम शुरू ही नहीं हुआ है। कई स्कूलों के संचालकों ने अपार आईडी के बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञता जताई है और उनका कहना है कि उन्हें विभाग से समय सीमा में कोई पत्र नहीं मिला था। निजी स्कूलों का कहना है कि 31 दिसंबर को एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें लिखा था कि नवंबर माह में यह कार्य पूरा करना था, लेकिन अब यह कार्य तीन दिन में पूरा करने को कहा जा रहा है। स्कूल संचालकों का कहना है कि इतना काम इतनी जल्दी करना संभव नहीं है, क्योंकि उन्हें समय पर निर्देश नहीं मिले थे।
अपार आईडी से मिलेगा ये फायदा
अपार आईडी के सबसे बड़े फायदे में से एक यह है कि इससे फर्जी शैक्षिक दस्तावेजों और डुप्लीकेट मार्कशीट के मामलों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। अक्सर देखा जाता है कि लोग नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर लेते हैं, जिससे योग्य उम्मीदवारों को रोजगार से वंचित होना पड़ता है। अपार आईडी के माध्यम से नियोक्ता किसी भी उम्मीदवार के शैक्षणिक रिकॉर्ड को एक क्लिक में देख सकेंगे, जिससे सही उम्मीदवार का चयन करना आसान हो जाएगा। इसके अलावा, अपार आईडी का इस्तेमाल विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं, एडमिशन प्रक्रिया, छात्रवृत्ति आवेदन, क्रेडिट ट्रांसफर, सर्टिफिकेशन, इंटर्नशिप और नौकरी के लिए भी किया जा सकेगा। यह आईडी छात्रों के अकादमिक रिकॉर्ड का ऑथेंटिकेशन करने में भी मदद करेगी और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे छात्रों को मिलेगा।
अधिकारी बोले- मॉनिटरिंग कर रहे
जिले के डीपीसी एएस पांडेय ने कहा कि अपार आईडी बच्चों के लिए अत्यंत उपयोगी है और इसे सभी बच्चों के लिए अनिवार्य किया गया है। सभी सरकारी और अशासकीय स्कूलों को इसे समय सीमा के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों को यह कार्य पूर्ण करना उनकी जिम्मेदारी है और इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।