भर्ती में नियमों के उल्लंघ का सबसे गंभीर आरोप
डॉ. गुप्ता के खिलाफ सबसे गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने सेडमेप की आड़ में वल्र्ड क्लास सर्विसेज इंदौर के साथ मिलकर 170 आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती की। इस भर्ती प्रक्रिया में भंडार क्रय नियमों का गंभीर उल्लंघन हुआ। वल्र्ड क्लास सर्विसेज लिमिटेड का कार्य संतोषजनक नहीं होने के बावजूद डॉ. गुप्ता ने सेडमेप को अनुशंसा पत्र भेजा, जो पूरी तरह से नियमों के विपरीत था। इस प्रक्रिया में राज्य सरकार की अनुमोदन से संबंधित नियमों का उल्लंघन हुआ।
लोकायुक्त जांच के दायरे में आए अधिकारियों को महत्वपूर्ण पद दिए
डॉ. गुप्ता के खिलाफ एक और गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने लोकायुक्त में जांच के दौरान जिन कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत थी, उनके खिलाफ कार्रवाई न करते हुए उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त कर दिया। उदाहरण के तौर पर डॉ. कृष्णप्रताप सिंह और डॉ. हरगोविन्द सिंह राजपूत के खिलाफ चल रही जांच के बावजूद उन्हें बड़ामलहरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का प्रभार सौंप दिया गया, जो प्रशासनिक और कानूनी दृष्टिकोण से गलत था।
आयुष्मान योजना में लापरवाही बरती गई
कलेक्टर छतरपुर पार्थ जैसवाल द्वारा लगातार निर्देश देने के बावजूद डॉ. गुप्ता ने आयुष्मान योजना (70 प्लस वंदना योजना) के लक्ष्य को प्राप्त करने में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए। यह योजना प्रदेश के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसकी सुचारू प्रगति सुनिश्चित करना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। लेकिन डॉ. गुप्ता ने इस मामले में लापरवाही बरती जिससे योजना का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाया।
सीएम हेल्पलाइन में गलत जवाब दिए
डॉ. गुप्ता द्वारा सीएम हेल्पलाइन और ऑनलाइन समाधान प्रणाली पर दर्ज की गई शिकायतों का गलत जवाब दिया गया और इन्हें विशेष क्लोजर के रूप में बंद कर दिया गया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने अपने कर्तव्यों में घोर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता बरती, जो कि मधयप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियमों के खिलाफ है।