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छतरपुर

बिजावर में फलदार उद्यान लगाने के नाम पर लगाए गए 35 लाख के फर्जी बिल, अब तक नहीं आई जांच रिपोर्ट

योजना के तहत कागजों में लगाए गए फलदार पौधे, मस्टर रोल में दर्ज की गई मजदूरी और जारी की गई सरकारी राशि सब कुछ सिर्फ दस्तावेजों में सजीव रहा, जबकि ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग निकली।

छतरपुरJun 21, 2025 / 10:46 am

Dharmendra Singh

janpad panchayat

जनपद पंचायत बिजावर

जिले की जनपद पंचायत बिजावर में उजागर हुआ नंदन फल उद्यान योजना से जुड़ा 35 लाख रुपए का बड़ा घोटाला अब शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। योजना के तहत कागजों में लगाए गए फलदार पौधे, मस्टर रोल में दर्ज की गई मजदूरी और जारी की गई सरकारी राशि सब कुछ सिर्फ दस्तावेजों में सजीव रहा, जबकि ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग निकली। जिला पंचायत सीइओ ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर 6 जून को तीन दिन में जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे, लेकिन 20 जून तक जांच ही पूरी नहीं हो पाई।

कागजों पर लहलहाए बाग, जमीन पर एक भी पौधा नहीं

नंदन फल उद्यान योजना के अंतर्गत बिजावर जनपद की ग्राम पंचायत महुआझाला, गोपालपुरा, कसार और बिलगाय में 14 किसानों को योजना का लाभ मिलने की स्वीकृति दी गई थी। योजना के तहत इन किसानों की जमीनों पर आम, अमरूद, नींबू जैसे फलदार पौधे लगाए जाने थे, जिससे रोजगार और हरियाली दोनों को बढ़ावा मिल सके। हालांकि जब वास्तविक जांच की गई, तो खुलासा हुआ कि इन खेतों में एक भी पौधा नहीं लगाया गया। इसके बावजूद 35 लाख रुपए के फर्जी बिल जनरेट कर सरकारी रिकॉर्ड में पूरे कार्य को पूर्ण बताया गया। यही नहीं, योजना के अंतर्गत मनरेगा से संबंधित मस्टर रोल भी तैयार किए गए, जिससे मजदूरों की मजदूरी के नाम पर राशि निकाली गई, जबकि न तो कोई कार्य हुआ और न ही किसी मजदूर को भुगतान।

जांच टीम बनी, लेकिन ठंडे बस्ते में पड़ा मामला

इस गंभीर मामले के सामने आने पर जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार ने तत्परता दिखाते हुए 6 जून को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जिसमें आरईएस के प्रभारी कार्यपालन यंत्री वीके रिछारिया, सहायक यंत्री जितेंद्र अहिरवार और मनरेगा जिला लेखापाल को शामिल किया गया। सीईओ ने टीम को तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए। परंतु आश्चर्यजनक रूप से तीन दिन का अल्टीमेटम बीतने के बाद भी जांच रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं है। न तो प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से कोई निष्कर्ष साझा किया और न ही किसी प्रकार की कठोर कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाई गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि पूरे मामले को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और दोषियों को संरक्षित किया जा रहा है।

पहले भी रहे आरोपों के घेरे में रहे अधिकारी

इस पूरे घोटाले में सहायक यंत्री ओपी द्विवेदी की भूमिका संदिग्ध मानी गई है, जिन्हें पद से हटाकर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा कार्यालय छतरपुर में अटैच किया गया है। लेकिन इससे इतर एक और नाम चर्चा में है जनपद पंचायत बिजावर की सीईओ अंजना नागर। सूत्रों के अनुसार, अंजना नागर पर उनके पूर्व कार्यकाल (नौगांव) में भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे, जिन्हें बाद में दबा दिया गया था। अब बिजावर में उनके कार्यकाल में यह बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आने से उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ऐसे में जांच अगर निष्पक्ष और गहराई से की जाए, तो अंजना नागर समेत कई अन्य अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

एक नहीं, पूरे सिस्टम की मिलीभगत

सूत्र बताते हैं कि यह घोटाला अकेले किसी एक व्यक्ति की करतूत नहीं है, बल्कि इसमें जनपद पंचायत का पूरा तकनीकी और लेखा अमला, मनरेगा का प्रशासनिक ढांचा और अधिकारी स्तर तक की मिलीभगत शामिल हो सकती है। इस योजना के अंतर्गत दूसरे सेक्टर के उपयंत्री से इस्टीमेट बनवाए गए और तीन वर्षों में खर्च की जाने वाली राशि को एक ही साल में जारी करवा लिया गया। साथ ही, कार्यस्थल पर मस्टर रोल से राशि निकाली गई, पर श्रमिकों को काम नहीं मिला।

जनता में आक्रोश, सरकार पर सवाल

घोटाले की खबर सामने आने के बाद से ही स्थानीय जनता और पंचायत प्रतिनिधियों में आक्रोश है। वे पूछ रहे हैं कि जब साक्ष्य सामने हैं, तो दोषियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया जा रहा है? बिजावर के सामाजिक कार्यकर्ता और पंचायत प्रतिनिधि मांग कर रहे हैं कि इस मामले में उच्च स्तरीय और स्वतंत्र जांच कराई जाए तथा दोषियों को कठोर सजा मिले।

क्या होगा आगे?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस घोटाले में शामिल अधिकारियों पर वास्तव में कोई सख्त कार्रवाई होगी या यह भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दफन कर दिया जाएगा? जांच रिपोर्ट की सार्वजनिक घोषणा और जवाबदेही तय किए बिना इस घोटाले की परतें खुलना मुश्किल है। आने वाले समय में अगर शासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं रहेगा, बल्कि लोगों के भरोसे और सरकार की साख पर भी गहरी चोट माने जाएगा।

इनका कहना है

बिजावर नंदन फल उद्यान मामल की अभी रिपोर्ट दी नहीं गई है। अभी रिपोर्ट बनाई जा रही है।

वीके रिछारिया, ईई आरईएस

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