scriptएमपी में भूजल में तेजी से घुल रहा ‘धीमा जहर’, खतरे में कई गांव | Fluoride in groundwater is increasing rapidly in MP many villages are in danger CGWB Report | Patrika News
छतरपुर

एमपी में भूजल में तेजी से घुल रहा ‘धीमा जहर’, खतरे में कई गांव

MP News: मध्य प्रदेश में कई जिलों में भूजल में तेजी से बढ़ रहा फ्लोराइड, एक्सपर्ट इसे कहते हैं धीमा जहर जो है सेहत पर भारी, सेंट्रल ग्राउंड वाटर की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, हजारों लोगों की जान पर मंडराया खतरा, आप भी रहें अलर्ट यहां जानें फ्लोराइड युक्त पानी की कैसे करें पहचान

छतरपुरJun 05, 2025 / 04:37 pm

Sanjana Kumar

MP Ground Water become slow poison

MP Ground Water become slow poison (फोटो सोर्स: एक्स)

MP News: जिले के भूजल में फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा अब महज एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि जिले के जलस्तर के गिरने के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता भी बिगड़ रही है। भूजल में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई है, जो न केवल भारतीय मानक (1.0 मिग्रा/लीटर) से अधिक है बल्कि वैश्विक सुरक्षित स्तर (0.5 मिग्रा/लीटर) से तीन गुना है।

क्या है फ्लोराइड

विशेषज्ञों के अनुसार फ्लोराइड एक ऐसा रसायन है जो, बिना रंग और गंध के पानी में घुल जाता है। इसकी पहचान तब होती है जब, शरीर में इसके घातक असर दिखने लगते हैं। ग्रामीण इलाकों में यह असर साफ नजर आने लगा है।

इनमें फैल रहा फ्लोरोसिस रोग

जहां लोग हैंडपंप और कुओं का पानी पीते हैं, वहां फ्लोरोसिस नामक बीमारी तेजी से फैल रही है। यह बीमारी हड्डियों को कमजोर कर देती है, रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो जाती है और दांत पीले होने के साथ ही क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

कृषि उत्पाद भी सेहत पर भारी, ये है धीमा जहर

फ्लोराइड युक्त पानी फसलों के जरिए भी शरीर में पहुंच रहा है। खेतों में बोरवेल के पानी से सिंचाई की जा रही है। ऐसे में फल, सब्जियां और अनाज भी फ्लोराइड से प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह साइलेंट प्वाइजनिंग है।

इस जल संकट को देखते हुए नल-जल परियोजना को दी गति

जिला प्रशासन ने इस संकट को देखते हुए नल-जल परियोजनाओं को गति दी है ताकि, भूजल पर निर्भरता कम हो और लोगों को ट्रीटमेंट प्लांट से साफ और सुरक्षित पानी मिल सके।

एक्सपर्ट ने कहा, करें RO का इस्तेमाल, खाएं विटामिन सी युक्त आहार

विशेषज्ञों की सलाह है कि जिन इलाकों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है, वहां आरओ या वाटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। आंवला, नारंगी और अंगूर जैसे विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करें, क्योंकि ये शरीर में फ्लोराइड के असर को कम करते हैं। छतरपुर जिले का भूजल अब केवल घटता संसाधन नहीं बल्कि, एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। इसे केवल प्रशासनिक योजनाओं से नहीं बल्कि, सामाजिक जागरुकता और व्यक्तिगत सतर्कता से ही मात दी जा सकती है। यदि समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में फ्लोरोसिस जैसी बीमारियां आम हो सकती हैं।

बड़ामलहरा, बिजावर और बकस्वाह में स्थिति ज्यादा खराब

तीन ब्लॉकों के गांव कुषमांड़, बीरमपुरा, तिलई, मंझोरा, कसेड़ा, निमानी, जिझारपुरा, सलैया, खैजरा, कर्री, कछार, हिरदेपुर, कुई किसनपुरा, पौड़ी, बहौरी, खिरिया खुर्द, घोंगरा, गुगवारा, निवार, सैडारा, तेरियामार, सहपुरा, सरकना, भगुईयनखेरा, बन्न, झिरिया झोर, बंधाचंदौली, बिजरिया, पछरावनी, सड़वा, बिलगांय, गुलाट, खुवा, नागोरी, पटौरी, बिला, राईपुरा में स्थिति ज्यादा खराब है।

पानी के सैंपल लेकर हम जांच कराते हैं

भूजल का इस्तेमाल सीधे नहीं करना चाहिए। पेय जल परियोजनाओं का पानी बेहतर है। पानी के सैंपल लेकर हम जांच कराते हैं। लोगों को अलर्ट भी करते हैं। पानी की जांच के लिए लोग हमारी लैब भी आ सकते हैं।

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