छात्रों को 15 किमी तक का सफर निजी वाहनों से
सरकार की योजना थी कि 5 किमी के दायरे में आने वाले पुराने स्कूलों को बंद कर सीएम राइज स्कूलों में मर्ज किया जाएगा, ताकि बेहतर संसाधनों का लाभ अधिक छात्रों को मिल सके। लेकिन नौगांव और छतरपुर ब्लॉक में आसपास के लगभग 40 स्कूलों को बंद कर उनके छात्र सीएम राइज स्कूलों में स्थानांतरित कर दिए गए हैं, जबकि अब तक इन छात्रों को लाने-ले जाने के लिए परिवहन साधन का इंतजाम नहीं हो पाया है। छात्रों को ई-रिक्शा, ऑटो, साइकिल और निजी यात्री बसों में 10 से 15 किलोमीटर तक का सफर तय कर स्कूल जाना पड़ रहा है। कई माता-पिता दिन में दो बार किराया देकर बच्चों को स्कूल छोडऩे और लेने जाते हैं। इससे उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
टेंडर प्रक्रिया 4 बार की गई, फिर भी नहीं मिला परिवहन साधन
संयुक्त संचालक (जेडी) मनीष वर्मा सागर संभाग ने कहा सीएम राइज स्कूलों के लिए बस सेवा उपलब्ध कराने के प्रयास जिला और संभाग स्तर पर चार बार किए जा चुके हैं। दो बार जिला स्तर और दो बार संभाग स्तर पर टेंडर बुलाए गए। लेकिन जिन फर्मों ने आवेदन किया, उनके दस्तावेज अधूरे या अपूर्ण पाए गए। इसलिए वे अपात्र घोषित कर दिए गए। इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी भोपाल मुख्यालय को भेजी गई है। अब निर्णय राज्य स्तर से होगा। जैसे ही स्वीकृति मिलती है, बसों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
छतरपुर सीएम राइज स्कूल में 2100 हुई क्षमता
छतरपुर सीएम राइज स्कूल के उप प्राचार्य आरके शर्मा ने बताया कि स्कूल में वर्तमान में 1280 छात्रों की बैठक व्यवस्था थी। नए भवन के पूर्ण होने से बैठक क्षमता 2100 हो गई है। सीएम राइज के इस भवन में जिला स्तरीय कॉन्फ्रेंस रूम, स्मार्ट कक्षाएं, एक्टिविटी रूम और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं। लेकिन बच्चों को वहां तक पहुंचाने के लिए सिर्फ योजनाओं की बात हो रही है, जमीनी समाधान अब तक नहीं है।
नौगांव सीएम राइज स्कूल: छात्रों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन बस नहीं
प्राचार्य आरके पाठक ने बताया कि वर्तमान में नौगांव सीएम राइज स्कूल में 970 छात्र अध्ययनरत हैं। भवन निर्माण होने से 2100 छात्रों के बैठने की व्यवस्था हो गई है। उन्होंने कहा कि स्कूल से 5 किमी के दायरे में आने वाले सरकारी स्कूलों के विलय की प्रक्रिया शासन के निर्देशानुसार की जाएगी। नौगांव के नालापार, सीता निवास, परम कॉलोनी, देवी मंदिर, धरमपुरा, चौबारा, ददरी, सिंगरावान खुर्द, पठवा पुरवा, शिकारपुरा, तिदनी, सिमरधा स्कूल बंद किए गए हैं। इन क्षेत्रों से आने वाले बच्चों को अब खुद व्यवस्था कर स्कूल पहुंचना पड़ता है।
अभिभावक बोले: सरकार ने सपने दिखाए, लेकिन सच्चाई कड़वी है
छात्रों के माता-पिता का कहना है कि सीएम राइज स्कूलों में स्मार्ट क्लास, लैब, आधुनिक भवन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात सुनकर बच्चों को प्रवेश दिलाया था। लेकिन जब बच्चा रोजाना 10 किमी तक पैदल या किराया देकर जाता है, तो वो सारी सुविधाएं फीकी लगती हैं। एक अभिभावक प्रदीप सिंह ने बताया, सरकार ने जो बताया वो सपना था, लेकिन जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है। हमारे बच्चे ठेले, ई-रिक्शा में जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं।
क्या यही ‘राइज’ है?कहां है प्रशासनिक निगरानी?
बच्चों की सुरक्षा और नियमितता सुनिश्चित करने के लिए जब तक परिवहन साधन उपलब्ध नहीं कराया जाता, तब तक पूरे सीएम राइज मॉडल की सफलता अधूरी ही मानी जाएगी। स्कूल भवनों में लाखों-करोड़ों खर्च कर देना एक उपलब्धि नहीं, जब तक उसका लाभ हर विद्यार्थी को नहीं मिले।
पत्रिका व्यू
छतरपुर जिले में सीएम राइज स्कूलों को लेकर प्रशासन की मंशा तो स्पष्ट है, लेकिन योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही और विलंब अब छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसा प्रतीत हो रहा है। यदि जल्द ही बस सेवा, पर्याप्त स्टाफ और व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया गया तो यह बहुप्रचारित योजना मात्र एक इमारतों की श्रृंखला बनकर रह जाएगी।