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छतरपुर में पांच साल में पहली बार गर्मियों में बांधों में भरा है पानी, गर्मियों में सूखने वाले जलाशयों ने दी राहत की उम्मीद

हर साल मई-जून में जिले के प्रमुख बांध सूख जाया करते थे और उनकी तलहटी तक दिखाई देने लगती थी। मगर 2025 में यह सिलसिला टूटा है। जल संसाधन विभाग द्वारा 30 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार, जिले के लगभग सभी बड़े जलाशयों में इस बार मई के अंत तक पर्याप्त जलभराव बना हुआ है।

छतरपुरJun 01, 2025 / 10:22 am

Dharmendra Singh

budha dam

बूढ़ा बांध में जल स्तर

छतरपुर. गर्मी के चरम पर पहुंचने के बावजूद इस बार छतरपुर जिले के जलाशयों की स्थिति राहत देने वाली है। बीते पांच वर्षों से हर साल मई-जून में जिले के प्रमुख बांध सूख जाया करते थे और उनकी तलहटी तक दिखाई देने लगती थी। मगर 2025 में यह सिलसिला टूटा है। जल संसाधन विभाग द्वारा 30 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार, जिले के लगभग सभी बड़े जलाशयों में इस बार मई के अंत तक पर्याप्त जलभराव बना हुआ है।

बेनीगंज बांध में 60 प्रतिशत जलभराव, ग्रामीणों को मिली बड़ी राहत

छतरपुर जिले का सबसे प्रमुख जल स्रोत बेनीगंज बांध वर्तमान में 60 प्रतिशत जलभराव के साथ सर्वाधिक भराव वाले जलाशयों में शामिल है। यह बांध पीने के पानी के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी महत्वपूर्ण है। वर्ष 2024 में मानसून के दौरान हुई पर्याप्त वर्षा और जलग्रहण क्षेत्रों में अच्छे बहाव के कारण यह बांध अब बेहतर स्थिति में है। जबकि बीते वर्ष यानी मई 2024 में यह लगभग पूरी तरह सूख गया था और ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया था।अन्य बांधों की स्थिति भी सुधरी, औसत से बेहतर जलस्तर
तापरेड़ बांध: 57 प्रतिशत जलभराव

सिंहपुर बांध: 38 प्रतिशत जलभराव

कुटनी व रनगुंवा बांध: दोनों में 34-34 प्रतिशत जलभराव

उर्मिल बांध: 20 प्रतिशत जलभराव

गोरा टैंक: 10 प्रतिशत जलभराव

2020 में जुलाई की शुरुआत तक सभी बांध डेडलाइन से नीचे

वर्ष 2020 की बारिश से पहले यानी जुलाई माह की शुरुआत तक जिले के किसी भी बांध में जलस्तर निर्धारित डेडलाइन से ऊपर नहीं पहुंच सका था। मानसून की देर से शुरुआत और पानी की कम उपलब्धता के चलते पूरे जिले में जल संकट गहराया हुआ था। सिंचाई और पेयजल योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई थीं।

2021 में मामूली राहत, फिर भी स्थिति सामान्य से नीचे

वर्ष 2021 में हालात थोड़े बेहतर रहे। चार प्रमुख बांधों बेनीगंज, तापरेड़, सिंहपुर और कुटनी का जलस्तर न्यूनतम जलस्तर से ऊपर पहुंच गया था, लेकिन यह केवल आंशिक राहत थी। गर्मियों में फिर से जलाशयों में तेजी से गिरावट आई और अधिकांश जलस्रोत दोबारा सूखने लगे। ग्रामीणों को टैंकरों और वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ा।

2022 में गर्मी खत्म होते-होते पानी पहुंचा तलहटी तक

2022 की गर्मी ने बांधों की दुर्दशा को और अधिक उजागर कर दिया। बारिश की मात्रा कम रहने और जलग्रहण क्षेत्रों में बहाव न के बराबर होने से बांधों का जलस्तर तेजी से घटता गया। मई-जून तक जिले के लगभग सभी बड़े बांध – गोरा टैंक, उर्मिल, रनगुंवा, और सिंहपुर – की स्थिति इतनी खराब हो गई कि उनमें पानी तलहटी तक पहुंच गया। इस वर्ष किसान खरीफ फसलों की बोवनी में काफी असमंजस की स्थिति में रहे।

2023 में जलभराव था, पर गर्मियों में फिर वही हाल

वर्ष 2023 में अच्छी बारिश के कारण शुरुआती महीनों में बांधों का जलस्तर अपेक्षाकृत बेहतर रहा। लेकिन जैसे ही गर्मी ने दस्तक दी, तेज धूप और जल उपयोग के दबाव ने फिर से पुराने हालात खड़े कर दिए। अप्रैल-मई आते-आते अधिकतर जलाशयों का पानी पुन: तलहटी तक पहुंच गया। इससे पता चलता है कि जल संरक्षण के स्थायी उपायों की अब भी भारी कमी है।

अब 2024-25 में दिखी राहत की उम्मीद

2024 के मानसून के बाद बांधों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। 2025 के मई महीने के अंत तक मिले आंकड़ों के अनुसार, बेनीगंज में 60 प्रतिशत , तापरेड़ में 57, सिंहपुर में 38, कुटनी व रनगुंवा में 34 और उर्मिल में 20 जलभराव बना हुआ है। यह स्थिति पिछले चार वर्षों के मुकाबले काफी संतोषजनक मानी जा रही है।
सागर संभाग में भी बेहतर स्थिति

90 प्रतिशत से अधिक जलभराव वाले 26 जलाशय

जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सागर संभाग में कुल 44 बड़े और मध्यम जलाशय हैं। इनमें से अधिकांश की स्थिति इस बार संतोषजनक है।
जलभराव की स्थिति

10 प्रतिशत से कम 2 जलाशय

10 से 25 प्रतिशत तक 1 जलाशय

25 से 50 तक प्रतिशत 7 जलाशय

50 से 75 प्रतिशत तक 7 जलाशय
75 से 90 प्रतिशत तक 1 जलाशय

90 प्रतिशत से अधिक 26 जलाशय

कुल जलाशय 44

पत्रिका व्यू

2025 का मई महीना छतरपुर जिले के लिए बीते पांच वर्षों की तुलना में राहत भरा रहा है। जहां 2020 से 2023 तक हर साल गर्मी में जलाशय पूरी तरह सूख जाया करते थे, वहीं इस बार बांधों में पर्याप्त जल है। यह स्थिति बेहतर मानसून, जलग्रहण क्षेत्रों की सक्रियता और थोड़ी बहुत प्रशासनिक जागरूकता का परिणाम है। मगर यह स्थायी समाधान नहीं है। जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और दीर्घकालिक प्रबंधन को लेकर अब ठोस कार्ययोजना बनाना और लागू करना अत्यंत आवश्यक है।फोटो-

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