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छतरपुर

हाईकोर्ट से बड़ामलहरा के पूर्व विधायक को नहीं मिली राहत, अब डबल बैंच में दावा किया पेश

यह भवन शासन द्वारा पहले दूरदर्शन को किराए पर दिया गया था, जिसे 4 अगस्त 2021 को तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ अजय सिंह ने 10 साल के लिए लोधी को लीज पर आवंटित कर दिया। सीईओ का यह निर्णय गलत साबित हुआ, क्योंकि उन्हें जनपद भवन की लीज देने का अधिकार नहीं था।

छतरपुरFeb 07, 2025 / 10:45 am

Dharmendra Singh

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इस बंगले के आंवटन का है विवाद

छतरपुर. बड़ामलहरा क्षेत्र के पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को सरकारी आवास को खाली करने के मामले में हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। उनके द्वारा सरकारी भवन की लीज लेने के बाद हुए विवाद में कलेक्टर ने आदेश पारित किया था कि वह उक्त भवन को खाली करें। कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए लोधी ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बावजूद, पूर्व विधायक अभी तक सरकारी भवन को खाली नहीं कर पाए हैं।

ये है मामला


पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने अपने विधायक रहते हुए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जनपद पंचायत के अतिरिक्त शासकीय भवन को 10 साल के लिए लीज पर हासिल कर लिया था। यह भवन शासन द्वारा पहले दूरदर्शन को किराए पर दिया गया था, जिसे 4 अगस्त 2021 को तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ अजय सिंह ने 10 साल के लिए लोधी को लीज पर आवंटित कर दिया। सीईओ का यह निर्णय गलत साबित हुआ, क्योंकि उन्हें जनपद भवन की लीज देने का अधिकार नहीं था।

कलेक्टर ने किया निरस्त


जनपद सीईओ ने भवन की लीज देने का आदेश इस उम्मीद में दिया था कि इससे जनपद पंचायत को किराए से आय मिलेगी, और सरकारी भवन का बेहतरी से उपयोग होगा। हालांकि, इस आदेश को लेकर विवाद बढ़ गया और कलेक्टर ने इस आदेश को निरस्त कर दिया। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने कहा कि जनपद पंचायत बड़ामलहरा का अतिरिक्त शासकीय भवन 10 साल के लिए लीज पर दिए जाने में कोई सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था, और सीईओ के द्वारा यह निर्णय अधिकार क्षेत्र के बाहर किया गया था। कलेक्टर ने 28 नवंबर 2024 को उक्त आदेश को निरस्त करते हुए लोधी से भवन खाली करने को कहा।

हाईकोर्ट का फैसला


लोधी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने भवन की लीज बरकरार रखने की मांग की थी। लेकिन न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की अदालत ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कलेक्टर के आदेश को बरकरार रखा। अदालत ने साफ किया कि लोधी को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती और उन्होंने कलेक्टर के फैसले को सही ठहराया। हाईकोर्ट का आदेश जारी होने पर भी प्रशासन ने पूर्व विधायक से सरकारी भवन खाली नहीं करा सका है। यह स्थिति प्रशासन की कमजोरी को दर्शाती है, क्योंकि कलेक्टर के आदेश के बावजूद भवन का कब्जा अभी तक लोधी के पास बना हुआ है।

पत्रिका व्यू

यह मामला सत्ता और प्रभाव का गलत उपयोग करने का एक उदाहरण बनकर सामने आया है, जिसमें एक पूर्व विधायक ने जनपद भवन को लीज पर लेने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। अब प्रशासन को इस मुद्दे पर प्रभावी कार्रवाई करनी होगी ताकि सरकारी संपत्ति को सही तरीके से उपयोग किया जा सके और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटा जा सके।

इनका कहना है


हाईकोर्ट के फैसले पर डबल बैंच में मामला दायर किया गया है। कोर्ट के निर्णयानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रद्युम्न सिंह लोधी, पूर्व विधायक

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