उपज का रिकॉर्ड ऑनलाइन दिखेगा
ई-मंडी की शुरुआत के बाद, किसानों को अब मंडी में अपनी उपज बेचने के लिए व्यापारियों के पास जाने की आवश्यकता नहीं होगी। वे घर बैठे ही अपने अनाज का विक्रय कर सकेंगे। इससे उन्हें तुलाई के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, किसान अपनी उपज का रिकॉर्ड रियल टाइम में ऑनलाइन देख सकेंगे और पूरा लेन-देन ट्रैक कर सकेंगे।
मूल्य का निर्धारण कर सकेंगे
छतरपुर मंडी सचिव शिवभूषण निगम ने बताया कि वर्तमान में छतरपुर मंडी सी ग्रेड में है, जबकि हरपालपुर मंडी बी ग्रेड, बड़ामलहरा सी ग्रेड, राजनगर सी ग्रेड, लवकुशनगर, बिजावर, बकस्वाहा और नौगांव मंडी डी ग्रेड में हैं। छतरपुर मंडी में सीजन के दौरान प्रतिदिन 200 से 250 किसान अपनी उपज बेचने आते हैं। ई-मंडी के तहत, किसान मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए सीधे व्यापारियों से जुड़ सकेंगे। इसके साथ ही, वे अपनी उपज के मूल्य का निर्धारण भी खुद कर सकेंगे, जिससे उन्हें बाजार में अपनी उपज के उचित मूल्य की प्राप्ति होगी।
व्यापारियों से संपर्क करने के लिए मंडी जाने की जरूरत नहीं
इस नई प्रणाली के तहत व्यापारियों से संपर्क स्थापित करने के लिए किसानों को अब मंडी में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। ई-मंडी के जरिए, किसानों को बिक्री और भुगतान के बारे में भी सूचना तुरंत मिल सकेगी, जिससे धोखाधड़ी की आशंका काफी हद तक कम हो जाएगी। जिले की मंडियों को ई-मंडी बनाने के लिए पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीनें खरीदी जा रही हैं। एक अप्रैल से इन मशीनों के जरिए ही अनुज्ञा पत्र जारी किया जाएगा और मैन्युअल काम बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा, किसान अब मोबाइल फोन पर ई-मंडी एप डाउनलोड कर सीधे मंडी का प्रवेश पत्र प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उन्हें मंडी में जाकर इसे कटवाने की आवश्यकता नहीं होगी।
घर बैठे बेच सकेंगे उपज
हालांकि, नौगांव, लवकुशनगर और बकस्वाहा जैसी मंडियों में अब भी किसानों की संख्या कम होती है। यहां के किसान अपनी उपज को छतरपुर या हरपालपुर मंडी भेजते हैं, या फिर गल्ला व्यापारियों से सीधे सौदा कर लेते हैं। गल्ला व्यापारी गांव-गांव जाकर किसानों से उनकी उपज खरीदते हैं, जो अक्सर समर्थन मूल्य से कम रेट पर होती है। अब, ई-मंडी की सुविधा से किसानों को इन समस्याओं से निजात मिलेगी और वे अपनी उपज को घर बैठे सही मूल्य पर बेच सकेंगे। इस नई व्यवस्था से किसानों को कई लाभ होंगे, और उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जो पहले बिचौलियों के कारण नहीं हो पाता था। ई-मंडी से किसान न केवल अपनी उपज को देशभर में बेच सकेंगे, बल्कि वे अपने भविष्य को भी सशक्त बना सकेंगे।