नगर निगम की आर्थिक बदहाली दूर करने की जरूरत
छिंदवाड़ा नगर निगम लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पिछले तीन सालों से 48 वार्डों में सड़क, पुल-पुलिया और नालियों का निर्माण नहीं हो सका है। महापौर विक्रम आहाके कई बार मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री के समक्ष 130 करोड़ रुपये की मांग रख चुके हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। चुंगी क्षतिपूर्ति राशि की कटौती से भी स्थिति और गंभीर होती जा रही है। महत्वपूर्ण विकास कार्य ठप
शहर के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बजट के अभाव में अधर में लटके हैं—
- मडिकल कॉलेजका निर्माण 200 करोड़ रुपये के बजट की कमी से रुका हुआ है।
- सिंचाई कॉम्प्लेक्स, जेल कॉम्प्लेक्स जैसे प्रोजेक्ट को भी फंड की जरूरत है।
- मिनी स्मार्ट सिटी, टाउनहाल पुरातात्विक धरोहर, ऑडिटोरियम हॉल और भरतादेव जैव विविधता पार्कजैसे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में हैं।
ग्रामीण इलाकों की भी उपेक्षा
ग्रामीण इलाकों में पंचायतों को लंबे समय से बजट नहीं मिला है, जिससे विकास कार्य ठप हैं। संबल योजना के हितग्राहियों को भी आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही है।
छिंदवाड़ा और पांढुर्ना के लिए प्रमुख बजट मांगें
1.ई-चार्जिंग सेंटर और इंटर स्टेट बस स्टैंड बनाकर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन।
- कोल्ड स्टोरेज और कृषक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना।
- पेंच नदी की बाढ़ में टूटे चौरई विकासखंड के सांख-हलालखुर्द-साजपानी पुल का निर्माण।
- बेसहारा बालिकाओं के लिए बालिका गृह की स्थापना।
- कृषि महाविद्यालय की स्थापना और उद्यानिकी महाविद्यालय का भवन निर्माण।
- राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय का भवनजो सारना में प्रस्तावित है, उसका निर्माण कार्य शुरू किया जाए।
- पांढुर्ना में नए कार्यालयों और अधिकारियों की पदस्थापनाकी जाए।
बजट से छिंदवाड़ा को कितना मिलेगा?
बीते कुछ वर्षों में छिंदवाड़ा को कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में अनदेखी का सामना करना पड़ा है। अगर इस बजट में जिले को समुचित राशि नहीं मिलती, तो विकास की गति ठप रह सकती है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार इस बार छिंदवाड़ा को क्या सौगात देती है और कितनी उम्मीदों को पूरा करती है।