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छिंदवाड़ा

गीला कचरा से बायोगैस बनाने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी

नगर निगम जल्द बनाएगा डीपीआर, फिर आगे बढ़ेगी निर्माण प्रक्रिया

छिंदवाड़ाDec 14, 2024 / 07:19 pm

mantosh singh

छिंदवाड़ा. शहरी गीला कचरा से बायो गैस बनाने के प्रस्ताव को अब तक राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। इसके बाद इसका डीपीआर बनेगा। फिर इसकी निर्माण प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। पिछले अगस्त-सितम्बर माह में नगरीय प्रशासन संचालनालय भोपाल का पत्र नगर निगम में आया था। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 के अंतर्गत गीले कचरे के प्रसंस्करण कर क्लस्टर आधारित बायो सीएनजी प्लांट बनाने का प्रस्ताव मांगा गया था।
इसके लिए नगरीय निकायों में ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया जाना अनिवार्य बताया था। खास यह था कि स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)-2.0 के अनुसार, 3 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय निकायों (एकल या क्लस्टर आधार पर) में गीले कचरे के प्रसंस्करण करने बायो मेथेनेशन प्रक्रिया से बायोगैस, बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना को प्राथमिकता दी गई थी। इसके बाद महापौर विक्रम अहके की अध्यक्षता में मेयर-इन-काउंसिल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद राज्य सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। फिलहाल नगर निगम ने फाइव स्टार रैंकिंग का दावा किया है।
इस संबंध में निगम के स्वच्छता प्रभारी इंजीनियर अभिनव तिवारी का कहना है कि राज्य सरकार ने अभी इसकी सैद्धांतिक मंजूरी दी है। आगे इसका डीपीआर तैयार होना है। इससे पहले नगर निगम के कचरा निस्तारण स्थल जामुनझिरी में कचरा के पहाड़ को रेमिडियल पद्धति से समाप्त करने के करीब 7.50 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय भेजा गया था। उसमें यह उल्लेख है कि इस प्रस्ताव की मंजूरी के बाद इसका बजट आएगा। फिर निगम इसका टेंडर कराएगा। इसके बाद इस पर काम शुरू हो पाएगा। जानकारी मिलती है कि केन्द्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब इसे राज्य स्तरीय तकनीकी समिति के पास भेजा जाएगा। जहां की अनुमति मिलने के बाद नगर निगम आवश्यक कार्यवाही करेगा।
देखा जाए तो छिंदवाड़ा नगर निगम के 48 वार्डो में हर दिन 5 टन गीला-सूखा कचरा निकलता है। इसमें गीले कचरे की मात्रा 2.5 टन है। यदि इस कचरे से बायो गैस बनाई जाए तो इसका सदुपयोग संभव है। फिलहाल इस कचरे को जामुनझिरी में ही फेंक दिया जा रहा है। इसके अलावा परासिया, बडक़ुही, न्यूटन चिखली और चांदामेटा के कचरे का भी उपयोग होगा।

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